मेरी डायरी का
हर वो पन्ना
अब तक लाल है
जिस पर तुम्हारा नाम लिखा है
जिस पर तुम्हारे नाम संदेस लिखा है
जिस पर तुमसे कुछ लम्हा बतियायी हूँ
(जानते हो न डायरी ये कौन सी है .......दिल की डायरियों पर तारीखें अंकित नहीं हुआ करतीं )
जबकि सुना है
वक्त के साथ कितना भी सहेजो
पन्ने पीले पड़ जाते हैं
अब इसे क्या समझूँ ?
तुम्हारी प्रीत या मेरी शिद्दत .......जो आज भी जिंदा है
(एक मुद्दत हुयी ज़िन्दगी से तो खफा हुए .......)
गहरी लिखावट, मन में।
जवाब देंहटाएंबहुत प्रभावी अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंदो महीने से आपकी रचनाओं ने एक दिशा ले ली है। आपकी रचनाएं एक जगे हुए व्यक्ति को जगाने की कोशिश कर रही है, इसलिए बेअसर है। नींद वाले व्यक्ति को ही जगाया जा सकता है।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना के लिए शुभकामनाएं..
दिल से लिखी ---दिल पर लिखी --- दिल की इबारत ...... बहुत खूब
जवाब देंहटाएं.बेहतरीन अभिव्यक्ति आभार . जनता की पहली पसंद -कौंग्रेस आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावों को प्रस्तुत किया है . भावों की गहनता ने बांध दिया .
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने यादों के कुछ पन्ने समय के साथ भी पीले नहीं पड़ते ..
जवाब देंहटाएंइस डायरी के पन्ने कभी अनायास ही खुलने लगते हैं - टाइम, बेटाइम बड़ी विचित्र बात है !
जवाब देंहटाएंbhaut hi abhivbaykti....
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