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रविवार, 9 फ़रवरी 2014

एक बहुप्रतीक्षित खुशखबरी : उम्मीद से ज्यादा :)



दोस्तों 

"हिंदी  अकादमी दिल्ली " के सौजन्य से मेरा पहला काव्य संग्रह" बदलती सोच के नए अर्थ " परिलेख  प्रकाशन नज़ीबाबाद के माध्यम से आ रहा है।  

इतने वक्त से सभी यही पूछ रहे थे कि कब आएगा तुम्हारा संग्रह और मैं सिर्फ इतना ही कह पा रही थी कि जल्द ही आएगा क्योंकि उस पर काम चल रहा था मगर पूरा नहीं हुआ था।  आज जाकर प्रूफ रीडिंग का काम पूरा हुआ है और अब उम्मीद ने ये आश्वासन दिया है कि इस बार के पुस्तक मेले में आपको मेरा संग्रह " बदलती सोच के नए अर्थ " उपलब्ध हो जायेगा।

इतने कम समय में इस संग्रह को लाने की चुनौती को स्वीकाराने के लिए  परिलेख प्रकाशन और अमन त्यागी जी का  हृदय से आभार। 

आरती वर्मा का तहेदिल से शुक्रिया जो मेरे एक बार कहने भर से किताब का आवरण मेरी सोच के अनुरूप बना दिया। 

अब आप सबकी ढेर सारी शुभकामनाओं और आशीर्वाद  की आकांक्षी हूँ  :) :)

आँखें नम हैं और दिल बच्चा हो रहा है जी :) 

पिछले कुछ दिनों से व्यस्तता का एक कारण ये भी था :)

12 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (10-02-2014) को "चलो एक काम से तो पीछा छूटा... " (चर्चा मंच-1519) पर भी होगी!
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    बसंतपंचमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन अलविदा मारुति - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  3. शुभकामनाएँ वन्दना जी!! चिरप्रतीक्षित के आगमन की प्रसन्नता सामान्य से अधिक होती है! बधाई!!

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  4. वंदना जी , बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएँ ......

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  5. बहुत सुन्दर और सटीक प्रस्तुतीकरण !

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  6. आपको ढेरों शुभकामनायें ... इस प्रकाशन की बधाई ...

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अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया