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बुधवार, 6 अगस्त 2014

क्योंकि आवाज़ की पगडंडियों के पाँव नहीं होते …………

पगडंडी के
इस  छोर पर मैं
उस छोर पर तुम
बीच में माध्यम
सिर्फ आवाजें
ध्वनि विध्वंस हो
उससे पहले
तुम पुकार लो .............

किसी भी राह से चलो
किसी पगडण्डी तक पहुँचो
माध्यम तो तुम्हें चुनना ही होगा

पुकारने के लिए ..............

इंतज़ार को मुकम्मलता प्रदान करने के लिए ..............
एक अमिट  इतिहास रचने के लिए ................

आओ करें सार्थक अपना होना
आवाज़ की पगडण्डी पर ..............


क्योंकि आवाज़ की पगडंडियों के पाँव नहीं होते …………

3 टिप्‍पणियां:

अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया