पेज

गुरुवार, 24 जुलाई 2008

ख्याल

आज ख्यालों से नीकलकर ख्यालों ने मुझसे बात की
हर जज्बे को बयां किया हर हाल की बात की
कुच्छ अपनी सुनाई कुछ हमारी सुनी
अपनी खामोशियों को दिखाया अपने दर्द को दिखाया
जो जो न हम जानते थे वो भी बताया
अजब वो समां था जहाँ सिर्फ़
हम थे और हमारे ख्याल थे
ख्यालों ने हमें ख्यालों में रहने को कहा
गर कर दिया बयां तो फिर जीने को क्या रहा
इस तरह कुच्छ हमने अपने ही ख्यालों से
उनके जज्बातों को जाना
ख्यालों से ख्यालों की मुलाक़ात भी अजब थी

2 टिप्‍पणियां:

  1. गर कर दिया बयां तो फिर जीने को क्या रहा
    इस तरह कुच्छ हमने अपने ही ख्यालों से
    उनके जज्बातों को जाना
    वाह जी वाह अति सुंदर रचना

    जवाब देंहटाएं

अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया