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रविवार, 14 दिसंबर 2008

अब जी नही करता
किसी के कंधे पर
सिर रख रोऊँ मैं
कोई मेरा हाथ थामे
मुझे अपना कहे
अब जी नही करता
किसी के दिल मैं जगह मिले
कोई प्यार करे मुझे
अब जी नही करता
सिर्फ़ जिस्मानी रिश्ते हैं
जो जिस्मों तक बंधे हैं
सब झूठ लगता है
इसलिए
अब जी नही करता
किसी के दामन का
सहारा लूँ मैं
किसी को अपना बना लूँ मैं

1 टिप्पणी:

अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया