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शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2009

सुकून

ज़िन्दगी दो पल चैन से
हमें जीने नही देती
और तेरा ख्याल
हमें मरने नही देता
मुश्किल से मिले पलों को
संजोने नही देती
मेरी बातें अधूरी रह जाती हैं
ख्वाब अधूरे रह जाते हैं
अरमान अधूरे रह जाते हैं
हमारा साथ अधूरा रह जाता है
पल पल मिलने को
तरसते बेचैन दिलों को
क्यूँ करार आने नही देती
क्यूँ ज़िन्दगी दो पल चैन से
हमें जीने नही देती
कुछ तेरी आंखों की नमी को
होठों की कशिश को
चेहरे के तबस्सुम को
गालों की लाली को
तेरे बहकते हुए जज्बातों को
बरसने नही देती
क्यूँ ज़िन्दगी दो पल हमें
चैन से जीने नही देती
कभी तू करे इंतज़ार
कभी मैं करूँ इंतज़ार
इस इंतज़ार करने में
ज़िन्दगी हुयी तमाम
अब रूहों को
खामोशी से
जन्नत में मिलने
का है इंतज़ार
तब तो शायद ज़िन्दगी
खामोश हो जायेगी
रूहों के मिलन मैं
न आडे आएगी
कुछ पलों के लिए ही सही
रूहों को सुकून तो मिलेगा
जो ज़िन्दगी ने न दिया
वो मौत दे जायेगी

8 टिप्‍पणियां:

  1. रचना बहुत भावपूर्ण व बढिया है लेकिन निराशा झलकती है।बहुत गहराई से निकली हैं यह पंक्तियां-

    तब तो शायद ज़िन्दगी
    खामोश हो जायेगी
    रूहों के मिलन मैं
    न आडे आएगी
    कुछ पलों के लिए ही सही
    रूहों को सुकून तो मिलेगा
    जो ज़िन्दगी ने न दिया
    वो मौत दे जायेगी

    जवाब देंहटाएं
  2. bahut sunder bhavavyakti haimagar marne ki baat mat keejiye bus jeenaa seekh lijye kisi ke bina

    जवाब देंहटाएं
  3. vandana ji

    इस इंतज़ार करने में
    ज़िन्दगी हुयी तमाम
    अब रूहों को
    खामोशी से
    जन्नत में मिलने
    का है इंतज़ार
    तब तो शायद ज़िन्दगी
    खामोश हो जायेगी
    रूहों के मिलन मैं
    न आडे आएगी
    कुछ पलों के लिए ही सही
    रूहों को सुकून तो मिलेगा
    जो ज़िन्दगी ने न दिया
    वो मौत दे जायेगी

    bahut sundar ..
    badhai

    जवाब देंहटाएं
  4. कुछ पलों के लिए ही सही
    रूहों को सुकून तो मिलेगा
    जो ज़िन्दगी ने न दिया
    वो मौत दे जायेगी|

    वाह, सुकून भी मिला तो कब? क्या वो सच में सुकून ही है!

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  5. bahut khoob:

    //मेरी बातें अधूरी रह जाती हैं
    ख्वाब अधूरे रह जाते हैं
    अरमान अधूरे रह जाते हैं
    हमारा साथ अधूरा रह जाता है//
    ek din meri bhi manodasha manfi rahi thi to ye kshnika bani:


    युगों से...

    एक कविता लिखने बैठा हूँ,

    जो...
    पूरी ही नहीं होती।

    मेरी कविता...

    मेरा जीवन...

    मेरा आत्मज्ञान....

    और हा,


    ...मेरा प्रेम।

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  6. पल पल मिलने को
    तरसते बेचैन दिलों को
    क्यूँ करार आने नही देती
    क्यूँ ज़िन्दगी दो पल चैन से
    हमें जीने नही देती

    वाह एक बढ़िया नज्म...उम्दा।

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  7. आपने तो जिदंगी कही रंगो में रंगा है। और हर रंग एक हकीकत कहता है।
    ज़िन्दगी दो पल चैन से
    हमें जीने नही देती
    और तेरा ख्याल
    हमें मरने नही देता

    क्या कहे ...........

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अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया