गंध महकती है
कभी तेरे अहसासों की
कभी तेरे ख्यालातों की
कभी अनछुई देह की
कभी अनछुए जज्बातों की
कभी बहकती साँसों की
कभी शबनमी आंखों की
कभी कुंवारे रुखसारों की
कभी मचलते शरारों की
कभी शबनमी मुलाकातों की
कभी लरजते अधखुले लबों की
कभी लहराते गेसुओं की
कभी बलखाती तेरी चालों की
कभी लहराते आँचल की
कभी मदमाती चितवन की
गंध महकती है तेरी
बस गंध महकती है
मन में आभासो की गंध महकती हो।
जवाब देंहटाएंअधरों पर बरबस मुसकान बहकती हो।
सांसांे की गरमी पैदल चल कर पहुँचे,
कोयल जैसी वाणी चटक चहकती हो।
तब समझो कोई जीवन में आया है।
जिसने बीराने में सुमन खिलाया है।।
बहुत अच्छा लिखा है आपने ।
जवाब देंहटाएंkabhi aapki kavitaon ki,
जवाब देंहटाएंkabhi bhavnaon ki,
kabhi swapnil kalpnaon ki
kabhi pyar ki chhaon ki
gandh mahakti hai
gandh mahakti hai, ye kaun sa flavour hai, vandana ji, bahut khoob. badhai
bahut roomaanee rachna hai
जवाब देंहटाएंgandh ka mahkna tabhi hota he jab use havaa kaa saath prapt ho/isi tarah rachna bhi mahkti he jab use saral shbdo me rach diya jaya//sarta se likh lena, vichaar poori tarah pravaahit ho jana///yahi to chahiye ek rachna ko// fir kyu nahi vo mahkegi///
जवाब देंहटाएंachha likha he aapne
pasand aai rachnagandh ka mahkna tabhi hota he jab use havaa kaa saath prapt ho/isi tarah rachna bhi mahkti he jab use saral shbdo me rach diya jaya//sarta se likh lena, vichaar poori tarah pravaahit ho jana///yahi to chahiye ek rachna ko// fir kyu nahi vo mahkegi///
achha likha he aapne
pasand aai rachna
बहुत सुन्दर एहसास समेट लिए आपने इस रचना में
जवाब देंहटाएंसच, महक के लिए कोई साथ चाहिए
जवाब देंहटाएंआपने तो बहुत से बता दिए हैं :-
अहसास
" ख़यालात "
देह
जज़्बात
साँस
प्रयोग अच्छा है.
- विजय
aap ki nazme kahi bhaawpurn hai ...........bahut sunder
जवाब देंहटाएंkafi gahare bhawpurna ........bahut khub
जवाब देंहटाएंatisundar ........vandana ji aapke blog par kaee baar visit to kiya par camments post karane par aapke blog par dikhata hi nahi hai
जवाब देंहटाएंवाह क्या लय बनी इस रचना में बिल्कुल मन को सुकुन देते संगीत की तरह। और सुन्दर भाव भी।
जवाब देंहटाएंगंध महकती है....वाह क्या खूब.....
जवाब देंहटाएंवैसे यहाँ पर गंध की जगह सुगंध शब्द का प्रयोग भी किया जा सकता था, परन्तु आपने सही नब्ज़ पकड़ी और गंध शब्द का इतना भावपूर्ण प्रयोग किया है कि सुगंध शब्द कहीं टिकता ही नहीं.....
साभार
हमसफ़र यादों का.......
kya baat hai ji...
जवाब देंहटाएंpyaar ki khushbu ke itne shades ...............
waaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaah
bus aur kuch nahi ..sundar laya liye hue kavita ...
good work boss