ज़ख्मों को प्यार हमने दिया
तेरे दिए हर ज़ख्म को
दुलार हमने दिया
ज़ख्मों का बाज़ार
हमने भी लगा रखा है
एक बार हाथ लगाओ तो सही
ज़ख्मों को देख मुस्कुराओ तो सही
हर ज़ख्म से आवाज़ ये आएगी
यार मेरे , तुम एक नया ज़ख्म
और दे जाओ तो सही
आओ प्यार मेरे , ज़ख्मो को
नासूर बनाओ तो सही
प्यार का ये रंग भी
दिखाओ तो सही
बेवफाई नाम नही देंगे इसे
मोहब्बत का हर तोहफा कुबूल है हमें
गहरा प्यार दर्शाती रचना
जवाब देंहटाएंप्यार का ये रंग भी
जवाब देंहटाएंदिखाओ तो सही
बेवफाई नाम नही देंगे इसे
मोहब्बत का हर तोहफा कुबूल है हमें
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
ऐसा लग रहा है कि ये रचना
आपने दिल से लिखी है।
बधाई!
bahut hi gahare bhaaw hai par jakham se bhare....badhayi!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !
जवाब देंहटाएंsabd nahin hain tarif ke liye. bahut chhoti si magar achhi rachna.
जवाब देंहटाएंज़ख्मों को देख मुस्कुराओ तो सही
जवाब देंहटाएंहर ज़ख्म से आवाज़ ये आएगी
यार मेरे , तुम एक नया ज़ख्म
और दे जाओ तो सही .....
आपके जख्मों की दास्ताँ कमाल की है ......... बहूत खूब लिखा है ..........
सुन्दर अभिव्यक्ति है इस रचना में ...बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंबेवफाई नाम नही देंगे इसे
जवाब देंहटाएंमोहब्बत का हर तोहफा कुबूल है हमें
समर्पण और एहसास भावनाओ के साथ कूट कूट कर परिलक्षित हो रहे है.
बहुत सुन्दर
बहुत बढिया
जवाब देंहटाएंजख़्म था जख़्म का निशान भी था
जवाब देंहटाएंदर्द का अपना इक मकान भी था।
बेहद रोचक रचना
सही है .. अच्छा लिखा है !!
जवाब देंहटाएंप्यार का ये रंग भी
जवाब देंहटाएंदिखाओ तो सही
बेवफाई नाम नही देंगे इसे
मोहब्बत का हर तोहफा कुबूल है हमें
ये रंग़ भी पसंद आया। अति सुन्दर रचना।
ज़ख्मों को प्यार हमने दिया
जवाब देंहटाएंतेरे दिए हर ज़ख्म को
दुलार हमने दिया
ज़ख्मों का बाज़ार
हमने भी लगा रखा है
एक बार हाथ लगाओ तो सही
ज़ख्मों को देख मुस्कुराओ तो सही
वाह.....वंदना जी क्या बात है ....!!
औरत के पास तो ज़ख्मों का जखीरा होता है कोई ले तो सही ....!!
मुहोब्बत का हर तोहफा कुबूल है हमें
जवाब देंहटाएंइन्हीं चाँद अल्फाज़ ने पूरी नज़्म को
मुकम्मिल कर दिया है
लफ्ज़-लफ्ज़ इक पैगाम बन कर खुद
बोल रहा है
बहुत अच्छी रचना
अच्छी लाईनें है, याद रखी जाने लायक.
जवाब देंहटाएंऔर कुछ याद भी आ गया.
"रश्क होता है जमाने को मेरे जख्मों से
मेरे हर जख्म से तेरा नाम नुमाँयाँ जो हुआ"