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गुरुवार, 7 अक्टूबर 2010

बहुत कठिन है डगर पनघट की

अभी तुम्हारी 
चाह ख़त्म 
नहीं हुई
अभी तुम्हारा
प्रेम पूर्णता 
ना पा सका
जब हर चाह
मिट जाएगी तेरी
प्रेम में भी
पूर्णता आ जाएगी
प्रेम में 
शर्त होती नहीं
प्रेम में तो
सिर्फ प्रेमी की 
गति ही 
अपनी गति 
होती है
प्रेम स्वीकारने
का नहीं
महसूस करने का
नाम है
क्यूँ प्रेम को 
स्वीकारने की
चाह रखते हो
इस चाह को भी
तुम्हें मिटाना होगा
जिस दिन 
तेरी हर चाह
मिट जाएगी
तेरी प्रेम की प्यास
भी बुझ जाएगी
फिर प्रेम रस में 
भीग तू  
खुद प्रेम ही 
बन जायेगा 


 

29 टिप्‍पणियां:

  1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  2. मिट जाएगी
    तेरी प्रेम की प्यास
    भी बुझ जाएगी
    फिर प्रेम रस में
    भीग तू
    खुद प्रेम ही
    बन जायेगा

    काश..... बस ऐसा ही हो...... वन्दना जी सुंदर प्रस्तुति....

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  3. चाहत कभी खत्‍म नहीं होती
    खत्‍म होगी जिस‍ दिन
    प्रेम खत्‍म हो जाएगा ।

    डगर पनघट की कठिन होती है
    सरल होगी जिस दिन
    पन घट जाएगा ।

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  4. फिर प्रेम रस में
    भीग तू
    खुद प्रेम ही
    बन जायेगा
    --
    व्यष्टि में समष्टि का सन्देश देती सुन्दर रचना!

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  5. "अभी तुम्हारी
    चाह ख़त्म
    नहीं हुई
    अभी तुम्हारा
    प्रेम पूर्णता
    ना पा सका
    जब हर चाह
    मिट जाएगी तेरी
    प्रेम में भी
    पूर्णता आ जाएगी ".. सभी प्रकार से स्वार्थ और चाहतों से परे प्रेम ही सच्चा प्रेम होता है.. और सच कह रही हैं आप कि जबतक चाह्तक ख़त्म नहीं होगी प्रेम पूर्ण नहीं हो सकता... सुंदर कविता.. प्रेम को अनोखे ढंग से प्रस्तुत कर रही हैं आप..

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  6. जिस दिन
    तेरी हर चाह
    मिट जाएगी
    तेरी प्रेम की प्यास
    भी बुझ जाएगी
    फिर प्रेम रस में
    भीग तू
    खुद प्रेम ही
    बन जायेगा
    पर ऐसा होना कितना मुश्किल है...यह प्यास ही तो नहीं मिटती कभी..
    बढ़िया अभिव्यक्ति

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  7. सच हैं ... प्रेम में तो बस देना ही होता है ... असल प्रेम तो वही है ..... कोई इच्छा कहाँ होती है ...
    बहुत अच्छा लिखा है ....

    जवाब देंहटाएं
  8. सच हैं ... प्रेम में तो बस देना ही होता है ... असल प्रेम तो वही है ..... कोई इच्छा कहाँ होती है ...
    बहुत अच्छा लिखा है ....

    जवाब देंहटाएं
  9. सचमुच, कठिन डगर की सटीक व्याख्या।

    जवाब देंहटाएं
  10. फिर प्रेम रस में
    भीग तू
    खुद प्रेम ही
    बन जायेगा

    -बहुत सुन्दरता से परिभाषित किया है, वाह!

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  11. Prem... vyakhya karna mushkil aur kuchh na kehna asambhav..umda rachna..

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  12. आपकी लेखनी का ही जादू है यह.....बहुत ही सुन्दर...
    मेरे ब्लॉग इस बार मेरी रचना ...
    स्त्री

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  13. ‘तू खुद ही प्रेम बन जाएगा‘
    ...गहन संवेदनाओं को सुंदरता से अभिव्यक्त करती प्रभावशाली कविता।

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  14. प्रेम में भी
    पूर्णता आ जाएगी
    प्रेम में
    शर्त होती नहीं

    बिलकुल सही, प्रेम तो त्याग है, समर्पण है !

    जवाब देंहटाएं
  15. कविता भाषा शिल्‍प और भंगिमा के स्‍तर पर प्रेम के प्रवाह में मनुष्‍य की नियति को संवेदना के समांतर, दार्शनिक धरातल पर अनुभव करती और तोलती है । बहुत अच्छी प्रस्तुति।
    मध्यकालीन भारत-धार्मिक सहनशीलता का काल (भाग-२), राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें

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  16. जिस दिन
    तेरी हर चाह
    मिट जाएगी
    तेरी प्रेम की प्यास
    भी बुझ जाएगी..

    पर मुझे लगता है कि इस बात का उलट होता है ...जिस दिन प्यास बुझ जायेगी तो चाह भी मिट जायेगी ...

    अच्छा विश्लेषण किया है

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  17. इस पंक्ति के बाद एक ही पंक्ति यद आती है ..चल भर लायें जमना से मटकी ।

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  18. बेहतरीन पोस्ट .
    नव-रात्रि पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं .

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  19. आप सभी को हम सब की ओर से नवरात्र की ढेर सारी शुभ कामनाएं.

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  20. जब हर चाह
    मिट जाएगी तेरी
    प्रेम में भी
    पूर्णता आ जाएगी

    वाह...गहरी पंक्तियाँ...बेहतरीन
    नीरज

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  21. ताऊ पहेली ९५ का जवाब -- आप भी जानिए
    http://chorikablog.blogspot.com/2010/10/blog-post_9974.html

    भारत प्रश्न मंच कि पहेली का जवाब
    http://chorikablog.blogspot.com/2010/10/blog-post_8440.html

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  22. prem cha gaya hai , zindagi ke har bhaav par ....sundar kam shbdo me poornta samaye hue ..

    badhayi

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  23. vandana, ek aur baat kahna tha .. ek jagah likha hai tumne ..ki
    जिस दिन
    तेरी हर चाह
    मिट जाएगी
    तेरी प्रेम की प्यास
    भी बुझ जाएगी

    ye bahut hi saar liye hue hai ...

    isi ko kabhi aur kisi aur poem me amplify karna ..
    acha lagenga ..

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अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया