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मंगलवार, 12 अक्टूबर 2010

हाँ , अब आसमाँ को नहीं तकती हूँ

सितारों को 
नहीं देखती 
मेरी किस्मत 
का सितारा 
वहाँ आसमाँ 
में नहीं टंगा 
खुदा ने
कोई सितारा
बनाया ही नहीं
फिर कैसे 
खोजूँ उसे
आसमाँ में 

अब अपने 
सितारे आप
बनाती हूँ 
दिल के 
बगीचे में
सितारों के 
फूल उगाती हूँ
जो खुदा ना 
कर पाया 
किस्मत के
उसी सितारे को
बुलंद करती हूँ
 हाँ , अब 
आसमाँ को 
नहीं तकती हूँ

29 टिप्‍पणियां:

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  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  3. दीप्ति शर्मा ने आपकी पोस्ट " हाँ , अब आसमाँ को नहीं तकती हूँ " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:

    किस्मत के
    उसी सितारे को
    बुलंद करती हूँ
    हाँ , अब
    आसमाँ को
    नहीं तकती हूँ

    umda rachna

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  4. तकते रहने की अब हमारी
    कोई वजह नहीं.......
    किस्मत के सितारे को
    आसमां की बुलंदियों
    तक
    पहुंचाना ही हमारा
    काम है....

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  5. हाँ , अब
    आसमाँ को
    नहीं तकती हूँ
    ....बहुत सुन्दरता से परिभाषित किया है,
    वन्दना जी वाह!

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  6. beautiful... waise bhi ye aasman hame nahi deta kuchh to kyoon ham ise itanee tawajjo de...

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  7. वंदना जी, हर बार की तरह उतनी ही बेहतरीन रचना...

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  8. "अब अपने
    सितारे आप
    बनाती हूँ
    दिल के
    बगीचे में
    सितारों के
    फूल उगाती हूँ " .. सितारों को उगाने और सजाने का जज्बा बहुत उम्दा है.. कविता गहराई लिए हुए है.. उभरते नारी शक्ति का परिचायक भी है..

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  9. खुद में हौसला हो तो ज़रूरत क्या है ताकने की ?

    सुन्दर और प्रेरणादायक अभिव्यक्ति

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  10. वाह.... क्या बात है ?:)
    आत्मविश्वास ऐसा ही होना चाहिए
    सुन्दर और सशक्त विचार

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  11. Achha vichaar hai apne hi aangan me sitaro ki kheti karne ka.. sundar kavita.. :)

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  12. अपने सितारे हर कोई तैयार करे स्वयं।

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  13. अपने सितारे हर कोई तैयार करे स्वयं।

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  14. खुद के बनाये सितारे अपने इर्द गिर्द ही तो होंगे तो फिर आसमान को क्या तकना ..
    बेहतरीन भाव

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  15. किस्मत के सितारों को बुलंद करके ,आसमां की ऊंचाई छू लीजिये ।

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  16. अब अपने
    सितारे आप
    बनाती हूँ
    दिल के
    बगीचे में
    सितारों के
    फूल उगाती हूँ
    --
    इस रचना का सार और सुन्दरता
    इन्ही शब्दों में निहित है!

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  17. दिल के बगीचे में सितारों के फूल
    वाह वाह ! विरोधाभास भी बहुत सुन्दरता से प्रयोग किया है
    बहुत ही सशक्त सकारात्मक रचना

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  18. Apne men majboot wishwas hee aisee soch ko jaga sakta hai. uttam prastuti.

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  19. सितारों की बगिया को दिल में बसाकर आसमान के एकाधिकार को चुनौती देना जब हर कोई सीख जाएगा तो आकाश भी खुद ब खुद धरती के सम्मुख नतमस्तक हो जाएगा.
    बहुत सुंदर और प्रेरणादायक रचना.
    सादर
    डोरोथी.

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  20. बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!

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  21. सम्वेदनाओं से पगी अति सुन्दर कविता !

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अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया