प्यार के निराले खेल देखो
हाट में बिकते दिल देखो
प्रेम प्रतीक की बेकदरी देखो
कोई तोड़ देती है
कोई फेंक देती है
होता है बुरा हाल तब
जब किसी और को दे देती है
गुलाब की आई शामत देखो
हाट में बिकते दिल देखो
वादों की बदहाली देखो
पब, रेस्तरां, नाईट क्लब में जाते हैं
जोड़े नाचते गाते हैं
कसमें वादे भी करते हैं मगर
प्रेम इज़हार एक से करते हैं
जाते दूजे के साथ हैं
और तीसरे के साथ निकलते हैं
वैलेन्टाइन डे की चाल मतवाली देखो
ये एक हाथ से बजती ताली देखो
प्रेम की छटा निराली देखो
मोल भाव यहाँ भी होता है
गिफ्टों से प्रेम तोला जाता है
महंगे गिफ्ट वाला ही
कन्या का सानिध्य पाता है
प्रेम का अजब खेल है ये
एक ही दिन में सिमट जाता है
किसी का दिल टूट जाता है
किसी का दिन बन जाता है
कोई धोखा खाता है
तो कोई हँसता गाता है
मगर अमर प्रेम ना कोई पाता है
ये झूठे प्रेम की क्रांति देखो
मन में बैठी भ्रान्ति देखो
प्रेम की नयी परिभाषा देखो
झूठी इक अभिलाषा देखो
वैलेन्टाइन डे के नाम पर
मिटती मर्यादा देखो
झूठ फरेब की नयी दुनिया देखो
जानते बूझते हाथ जलाते देखो
इक पल की चाह में
खुद को बहलाते देखो
ये आडम्बर के खोल में लिपटी
आधुनिक कहलाती दुनिया देखो
बाहरी संस्कृति से प्रेरित
बहकती युवा पीढियां देखो
ये आधुनिकता का दंभ भरती
इधर उधर भटकती दुनिया देखो
प्यार के निराले खेल देखो
हाट में बिकते दिल देखो
हाट में बिकते दिल देखो
प्रेम प्रतीक की बेकदरी देखो
कोई तोड़ देती है
कोई फेंक देती है
होता है बुरा हाल तब
जब किसी और को दे देती है
गुलाब की आई शामत देखो
हाट में बिकते दिल देखो
वादों की बदहाली देखो
पब, रेस्तरां, नाईट क्लब में जाते हैं
जोड़े नाचते गाते हैं
कसमें वादे भी करते हैं मगर
प्रेम इज़हार एक से करते हैं
जाते दूजे के साथ हैं
और तीसरे के साथ निकलते हैं
वैलेन्टाइन डे की चाल मतवाली देखो
ये एक हाथ से बजती ताली देखो
प्रेम की छटा निराली देखो
मोल भाव यहाँ भी होता है
गिफ्टों से प्रेम तोला जाता है
महंगे गिफ्ट वाला ही
कन्या का सानिध्य पाता है
प्रेम का अजब खेल है ये
एक ही दिन में सिमट जाता है
किसी का दिल टूट जाता है
किसी का दिन बन जाता है
कोई धोखा खाता है
तो कोई हँसता गाता है
मगर अमर प्रेम ना कोई पाता है
ये झूठे प्रेम की क्रांति देखो
मन में बैठी भ्रान्ति देखो
प्रेम की नयी परिभाषा देखो
झूठी इक अभिलाषा देखो
वैलेन्टाइन डे के नाम पर
मिटती मर्यादा देखो
झूठ फरेब की नयी दुनिया देखो
जानते बूझते हाथ जलाते देखो
इक पल की चाह में
खुद को बहलाते देखो
ये आडम्बर के खोल में लिपटी
आधुनिक कहलाती दुनिया देखो
बाहरी संस्कृति से प्रेरित
बहकती युवा पीढियां देखो
ये आधुनिकता का दंभ भरती
इधर उधर भटकती दुनिया देखो
प्यार के निराले खेल देखो
हाट में बिकते दिल देखो
यही आज का दृष्य है..
जवाब देंहटाएंप्रेम प्रतीक की बेकदरी देखो
जवाब देंहटाएंकोई तोड़ देती है
कोई फेंक देती है
होता है बुरा हाल तब
जब किसी और को दे देती है
गुलाब की आई शामत देखो
हाट में बिकते दिल देखो
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बहुत सही फटकार लगाई है आपने इन दिल वालों को!
--
आज के दिन यह बहुत जरूरी भी था!
आपकी यह पोस्ट पढ़कर
कुछ लोगों की आँखें तो खुल ही जाएँगी!
अब मेरे सारे ब्लॉग्स फिर से blogspot.com/ पर आ गये हैं!
जवाब देंहटाएंसोने का प्रेम, प्रेम का सोना।
जवाब देंहटाएंPyaar ke nirale khel dekho,Haat me bikte dil dekho....
जवाब देंहटाएंWah! Vandana ji wah!,kitane jawan dilo ko aaghat pahunchaya hai aapne,lekin schchaai ka aaina rakh kar.Is aaine me yadi sub zhank payen to asli pyaar ka matlab samaz me aa sakega.
Samaj utthan ki bhavana se prarit is kavita ke liye bahut bahut bandhai.
oh my gosh vandana ji....kya nazm likhi hai....mindbender!
जवाब देंहटाएंvalentine day to bahana hai khuleaam kuch bhi karne ka ...
जवाब देंहटाएंप्रेम दिवस को सभी को प्रण लेना चाहिए की प्रेम निस्वार्थ हो!
जवाब देंहटाएंबहकती युवा पीढी देखो। सही कहा। एक दिन का प्रेम ही तो रह गया है आजकल। अच्छी रचना। बधाई।
जवाब देंहटाएं@>> Aadarniya Surenderji,
जवाब देंहटाएं"prem divas" per hi kyun har din kyun nahi.Niswarth prem ke liye kya kisi
divas vishesh ki aavasayakta hoti hai.'Prem divas' ke naam per kya kya nahi ho raha hai yuva varg me ki "prem ko bhi haat me bikana pad raha hai"
"Prem na badi uupje,prem na haat bikaay,raja praja jehi ruche,sheesh
dehi le jaye"
Prem ke liye to bhai 'sheesh' yani apne ahankar ka balidaan karna padega pehle.
बिलकुल सही और सोचने को मजबूर करती कविता.
जवाब देंहटाएंसादर
ये हमारे आधुनिक युवा वर्ग हैं
जवाब देंहटाएंक्या कीजियेगा
ऐसा दृश्य तो आजकल आम है..
प्रेम में मर्यादा और अनुशाशन जैसे ख़त्म हो रहे हैं... मूल्यों का जिस तरह से अवमूल्यन हो रहा है... प्रेम के प्रतीक भी बदल रहे हैं और प्रतिमान भी.. आपकी कविता सच्ची से परिचय करा रही है.. सुन्दर कविता... प्रेम के बाजारीकरण के पर्व पर क्या शुभकामना और क्या बधाई.... सादर...
जवाब देंहटाएंaisa jaruri bhi nahi..!! kuchh to aisa hota hai...jahan sirf do premi ke bich prem rahta hai...!!
जवाब देंहटाएंwaise satyata hai...aapki rachna me!
प्रेम दिवस है चिल देखो,
जवाब देंहटाएंहाट में बिकते दिल देखो,
ठेली वाला चांदी काट रहा,
चाट के बढ़ते बिल देखो !
आपको भी प्रेम दिवस मुबारक, वंदना जी !
आज के दौर में प्रेम का सुन्दर चित्रण...बेहतरीन !!
जवाब देंहटाएंये प्रेम आज का मिल भी जावे तो क्या है...
जवाब देंहटाएंबहुत सही कहा है आपने ...।
जवाब देंहटाएंपाश्चात्य संस्कृति का भारत पर असर ! प्रेम का दिन तो सिर्फ आज ही है तो फिर आने वाला कल किस लिए है ? व्यापार जगत में आज प्रेम का दिन है !! अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंvalentine day की खूब कलई उतारी है आपने. क्या बात है.
जवाब देंहटाएंआदरणीया वंदना जी
जवाब देंहटाएंहाट में बिकते दिल देखो बहुत सामयिक रचना है -
महंगे गिफ्ट वाला ही
कन्या का सानिध्य पाता है
ये कन्याएं ऐसी क्यों होती हैं … ? :)
बधाई ! रचना में निहित व्यंग्य सत्य है ।
प्रेम बिना निस्सार है यह सारा संसार !
प्रणय दिवस मंगलमय हो ! :)
बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
वाह वंदना जी,
जवाब देंहटाएंव्यंग्य में लपेट कर आपने प्रेम का निम्नतम रूप दिखा दिया है........खुदा बचाए ऐसे प्रेम से.....बहुत सुन्दर पोस्ट|
gulab ki aai shamat dekho
जवाब देंहटाएं........................
haat me bikte dil dekho.....
...................
bahut sateek abhivyakti...
सुन्दर अभिव्यक्ति. मेरी बधाई स्वीकारें.
जवाब देंहटाएंआज के दौर की और सोचने को मजबूर करती कविता !
जवाब देंहटाएंआभार !
आज के दिन पर अच्छा व्यंग है ....लोग प्रेम की गहराई नहीं समझते बस डे मना कर खुश हो लेते हैं ..
जवाब देंहटाएंसटीक रचना
जरूर नकली रहे होंगे। असली दिल कभी बिकते नहीं। अलबत्ता टूट जरूर जाते हैं।
जवाब देंहटाएंवंदना जी बहुत सुंदर कविता कही ओर सही मोके पर, यह लोग सिर्फ़ परछाईयो के पीछे भाग रहे हे जो नही जानते की प्रेम क्या हे? धन्यवाद इस सुंदर कविता के लिये
जवाब देंहटाएंप्रेम दिवस को सभी को प्रण लेना चाहिए की प्रेम निस्वार्थ हो!
जवाब देंहटाएंआज के दिन आपको मेरी प्यार भरी शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंइस दिन की पूरी कहानी बयां कर दी आपने ... शानदार व्यंग्य भी है , तो भटकते युवाओं को देख होता दर्द भी !
जवाब देंहटाएंमौजूदा दौर की सच्चाई को उजागर करती रचना।
जवाब देंहटाएंप्रेम की परिभाषा क्या है ?
जवाब देंहटाएंप्रेम की अभिलाषा क्या है?
क्या समझेगी ये, तमाशाई दुनिया,
प्रेम की अपनी आशा क्या है?
सामयिक बात के लिए बधाई
Aapki RACHNAO SE MAI BAHUT EXAIT HUVA HU
जवाब देंहटाएंbehad khubsurat rachna...
जवाब देंहटाएंnice one!
जवाब देंहटाएंगुलाब की आई शामत देखो
जवाब देंहटाएं