उसने नज़रों से छुआ
तो भी सिहर गयी
उफ़ ! कब और कैसे
दिल की ये हालत हो गयी
वो बेसाख्ता हँस पड़ा
और मैं खुद में सिमट गयी
उफ़ ! कब और कैसे
नज़र ये चार हो गयी
उसकी सांसो को छूकर
पुरवा जो उतरी मुझमे
उफ़ ! कब और कैसे
खुद से मै बेगानी हो गयी
तो भी सिहर गयी
उफ़ ! कब और कैसे
दिल की ये हालत हो गयी
वो बेसाख्ता हँस पड़ा
और मैं खुद में सिमट गयी
उफ़ ! कब और कैसे
नज़र ये चार हो गयी
उसकी सांसो को छूकर
पुरवा जो उतरी मुझमे
उफ़ ! कब और कैसे
खुद से मै बेगानी हो गयी
उफ़!कब और कैसे हुआ ये ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर !
प्यार की सुंदर अनुभूति
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको :-)
जवाब देंहटाएंवो बेसाख्ता हँस पड़ा
जवाब देंहटाएंऔर मैं खुद में सिमट गयी
उफ़ ! कब और कैसे
नज़र ये चार हो गयी
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भाव प्रधान और सुन्दर अभिव्यक्ति!
अभी अभी आप विवाह की वर्षगांठ का उत्सव मनाई हैं.. उसी में हुई होगी ये हालत.. रोमांटिक कविता...
जवाब देंहटाएं... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।
जवाब देंहटाएंउफ़्फ़ ! कब और कैसे ?
जवाब देंहटाएंआपने पूरी कविता पढवा दी , उत्तर फ़िर भी न दिया ...। सुंदर सरल भावाभिव्यक्ति
Vandana ji ye begaanapan hai ya
जवाब देंहटाएंdiwaanapan ? Kudh to begaani ho gayi ho,per sabhi ko diwana banaaye ja rahi ho.Kab aur kaise
diwanagi aapki bhavpoorn rachanaon
ko padhane me aane lagi,pata hi nahi chalaa.
pyaar ke anokhe ehsaas ... bahut badhiyaa
जवाब देंहटाएंप्रेमपरक भावपूर्ण अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंवाह ....बहुत ही सुन्दर शब्द रचना ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन !
जवाब देंहटाएंसादर
प्रेम की पराकाष्ठा। अच्छी रचना।
जवाब देंहटाएंवाह...वाह.....वंदना जी......प्रेम और हया.....चार चाँद लगा दिए हैं जी आपने...
जवाब देंहटाएंप्रेम का क्रियात्मक संवाद।
जवाब देंहटाएंउसकी सांसो को छूकर
जवाब देंहटाएंपुरवा जो उतरी मुझमे
उफ़ ! कब और कैसे
खुद से मै बेगानी हो गयी
अति सुन्दर..... !
उसकी सांसों को छूकर
जवाब देंहटाएंपुरवा जो उतरी मुझमें
उफ़ ! कब और कैसे
.............................
मनमोहक रचना ....'उफ़ कब और कैसे' का जवाब नहीं !
बहुत सुंदर लगी आप की यह रचना, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंखुबसूरत रचना के लिए बधाई, हृदय को छूते शब्द , अविरल भाषा ,धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंउफ़ ...कब से ये हाल है ?
जवाब देंहटाएंखूबसूरत अभिव्यक्ति
उफ!
जवाब देंहटाएंकब!
कैसे!
सच में पता ही नहीं चलता
बेहतरीन अभिव्यक्ति और पंक्तियां
प्रणाम स्वीकार करें
छोटी मगर बहुत सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावाभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंयह अनुभूति कब की है? पुरानी है या नई? चाहे जब की ही हो, है पूरी की पूरी की पूरी. प्यार को परिभाषित सा करता हुआ सुखद अनुभूति. लगता है 'मधुमास सचमुच आ गया'.... बहुत ही भावना प्रधान एक अनुभूत यथार्थ जिसे कल्पना कहना कठिन है. भाग्यशाली हैं आप.
जवाब देंहटाएंkya bat hain shandar
जवाब देंहटाएंadhbhut
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vandana , one of your best love songs ... too touchy , ise mujhe bhejo , collection ke liye
जवाब देंहटाएंtahnks