वो आग ना मिली
जो जला सके मुझे
वो रेत ना मिली
जो दबा सके मुझे
वो पानी ना मिला
जो बहा सके मुझे
फिर कहो तुम
कैसे मिल गए
अब बह भी रही हूँ
दब भी रही हूँ
और जल भी रही हूँ
मगर अंतर्मन है कि
कभी राख होता ही नहीं
वहां की मिटटी अभी भी
सूखी है
किसी रेत में
आशियाँ बनता ही नहीं
जो जला सके मुझे
वो रेत ना मिली
जो दबा सके मुझे
वो पानी ना मिला
जो बहा सके मुझे
फिर कहो तुम
कैसे मिल गए
अब बह भी रही हूँ
दब भी रही हूँ
और जल भी रही हूँ
मगर अंतर्मन है कि
कभी राख होता ही नहीं
वहां की मिटटी अभी भी
सूखी है
किसी रेत में
आशियाँ बनता ही नहीं
जब तक जीवन है अन्तः जूझेगा।
जवाब देंहटाएंbhut bhut hi sunder rachna...
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएंvandana ji,
जवाब देंहटाएंret mein aashiyaan banta nahi...satya vachan!
विकट स्थिति ... भावमयी रचना
जवाब देंहटाएंumda prastuti vandana ji .
जवाब देंहटाएंकिसी रेत में
जवाब देंहटाएंआशियाँ बनता ही नहीं
--
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
किसी रेत में
जवाब देंहटाएंआशियां बनता ही नहीं ...
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने ।
सूक्ष्म आत्मा जब मोह-माया के बंधन में फंसती है तो स्थूल हो जाती है....इसके बाद ही वो स्थितियां उत्पन्न होती हैं जिनकी ओर आपकी नज़्म के दूसरे हिस्से में इशारा किया गया है. अच्छी लगी ये नज़्म...बधाई!
जवाब देंहटाएं---देवेंद्र गौतम
अंतर्मन कभी राख होता ही नहीं, भीगता भी नहीं... क्योकि शाश्वत है, भावपूर्ण कविता के लिये बधाई !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंकिसी रेत में
जवाब देंहटाएंआशियाँ बनता ही नहीं
बहुत सुन्दर ,भावमयी अभिव्यक्ति
वंदना जी,आपकी पहेली कैसे हल हो आप ही बताएं.
जवाब देंहटाएंमेरी तो बस के बाहर है.
सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंकिसी रेत में आशिया बनता नहीं
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
वंदना जी,
जवाब देंहटाएंक्या बढ़िया लिखा है सच ही तो है....
फिर कहो तुम
कैसे मिल गए
अब बह भी रही हूँ
दब भी रही हूँ
और जल भी रही हूँ
आशु
संभव तो सबकुछ है जब कोई मिले ... बहुत खूब ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएंbahut sunder
जवाब देंहटाएंजीवन का यही तो विरोधाभाष है
जवाब देंहटाएंबहुत कुछ कह रही हे आप की यह भावमयी कविता, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसही है.. किसी का मिलना जीवन बदल सकता है और फिर भी स्थिर रख सकता है.. जीवन की बड़ी माया के आगे हमारी क्या बिसात...
जवाब देंहटाएंआभार
सुख-दुःख के साथी पर आपके विचारों का इंतज़ार है..
अति सुन्दर...!
जवाब देंहटाएंप्रेम के प्रवाह मे जलना दबना सब जीवन का अंग हो जाता है
जवाब देंहटाएं