पेज

शनिवार, 28 मई 2011

जब से तेरी प्रीत की झांझर डाली है पांव मे

जब से तेरी प्रीत की
झांझर डाली है पांव मे
ठहर गये हैं दिल की
मुंडेर पर ठिठक कर
बता कैसे तेरे सपनों
की ताजपोशी करूँ
कौन सी महावर सजाऊँ
कौन सा अल्पना लगाऊँ
कि चल पडें लोक लाज छोडकर

33 टिप्‍पणियां:

  1. ठहर गये हैं दिल की
    मुंडेर पर ठिठक कर

    :) अब मुंडेर पर बैठे ही हैं तो दिखाई दे ही जायेंगे न ;):) सुन्दर अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  2. 'प्रीति की झांझर डाली पाँव में '

    ......................वाह वंदना जी ! गज़ब की पंक्ति ....अब तो कदम बढाते ही प्रीति गाएगी ....प्यार नाचेगा

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत खूब .जाने क्या क्या कह डाला इन चंद पंक्तियों में

    जवाब देंहटाएं
  4. सुभानाल्लाह......वाह.....जब से तेरी प्रीत.......मीरा के भाव दिखे हैं इस पोस्ट में.....शानदार....लाजवाब |

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही प्यारी सी कविता

    जवाब देंहटाएं
  6. कौन सी महावर सजाऊँ
    कौन सा अल्पना लगाऊँ
    कि चल पडें लोक लाज छोडकर
    alhad purwaiya si baat

    जवाब देंहटाएं
  7. दिल की मुंडेर-वाह वंदना जी वाह,क्या बात है.

    जवाब देंहटाएं
  8. शब्द कुछ और गढ़ने चाहिए ,
    मुंडेर के पास ही नहीं ठिठकना चाहिए,
    निकलने दीजिये कोई बात ,
    न कहने की कसक निकालनी चाहिए. अच्छे शब्द बधाई

    जवाब देंहटाएं
  9. समर्पण का महावर, समर्पण की ही अल्‍पना
    जब प्रीत की झांझर हो डाली हो पांव में
    कैसे साकार हो सकेगी कोई और कल्‍पना।

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सुंदर प्रीति की झांझर बजा कर नाचोगी तो शोर हो जायेगा और फिर ..............

    जवाब देंहटाएं
  11. अति सुन्दर अभिव्यक्ति !! धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    मनोभावों का बहुत बढ़िया चित्रण किया है आपने!

    जवाब देंहटाएं
  13. थोड़ा सा कदम बढ़ा कर देखें।

    जवाब देंहटाएं
  14. प्रेम की इंतहा....
    बेहतरीन रचना
    अच्‍छे शब्‍द संयोजन

    जवाब देंहटाएं
  15. दिल की मुंडेर पर झांझर की झंकार ...
    सुन्दर !

    जवाब देंहटाएं
  16. अब प्रीत की झांझर है पाँव में, फिर क्या सोचना !
    दिल के कोमल भावों की सुंदर अभिव्यक्ति ...

    जवाब देंहटाएं
  17. प्रीत की झांझर, दिल की मुंडेर...वाह, कितने सुंदर बिम्बों का प्रयाग किया है आपने।
    कविता के कथ्य और शिल्प में ताजगी है।
    बधाई, वंदना जी।

    जवाब देंहटाएं
  18. सुन्दर अभिव्यक्ति,बहुत सुंदर
    बधाई..............

    जवाब देंहटाएं
  19. प्रीति की झांझर पहनने के बाद भौतिक श्रृंगार बेमानी हो जाते हैं ,फिर भी प्रियतम की अपेक्षा पूर्ण करने के लिए कुछ प्रश्न मन में उभर ही जाते हैं.भाव-प्रवण रचना.

    जवाब देंहटाएं
  20. ye jhankaar hi to sir se lekar dil aur dimaag tak gunjti hai,
    lok laaj duniya kahaan dekhti hai....!

    जवाब देंहटाएं
  21. आपकी रचना पढकर "हीरो" फिल्म का गीत "प्यार करने वाले कभी डरते नहीं " याद आ गया ... सुन्दर रचना !

    ग़ज़ल में अब मज़ा है क्या ?

    जवाब देंहटाएं
  22. आदरणीया वंदना जी -बहुत ही सुन्दर रचना -छोटी मगर प्रेम रस को छलकाती-मन को सराबोर कर गयी -प्रेमिका का प्रेमी के स्वागत में श्रृंगार -भाव मुंडेर तक -बधाई हो
    आशा है आप अपने सुझाव , समर्थन , स्नेह देती रहेंगी
    साभार -
    शुक्ल भ्रमर ५

    जवाब देंहटाएं
  23. ....
    हर पंक्ति दिल तक पहुँचती हुई....
    दिल की बात आपने बहुत दिल से लिखी है.......
    आपको फौलो कर रही हूँ:)

    जवाब देंहटाएं
  24. बहुत प्यारी रचना |बधाई |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  25. वाह वंदना जी! बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने जो प्रशंग्सनीय है!बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  26. जब से तेरे प्रीत की
    झांझर डाली है पाँव में ....
    कौन सी महावर लगाऊं,
    कौन सा अल्पना लगाऊं .....
    प्रेम की बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति !

    जवाब देंहटाएं
  27. कोमल एहसास...
    जब पाँव में झांझर झनके
    तो शोर होना ही है...!
    अति सुन्दर...!!

    जवाब देंहटाएं
  28. Vabdana ji,atyant hi prembhav se oat proat hai yah kavita...Bimbon ka prayog ati uttam.accha laga padha kar.

    जवाब देंहटाएं
  29. कलात्मक प्रेम का स्वाद चखाती छोटी सी कविता !

    जवाब देंहटाएं

अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया