जब से तेरी प्रीत की
झांझर डाली है पांव मे
ठहर गये हैं दिल की
मुंडेर पर ठिठक कर
बता कैसे तेरे सपनों
की ताजपोशी करूँ
कौन सी महावर सजाऊँ
कौन सा अल्पना लगाऊँ
कि चल पडें लोक लाज छोडकर
झांझर डाली है पांव मे
ठहर गये हैं दिल की
मुंडेर पर ठिठक कर
बता कैसे तेरे सपनों
की ताजपोशी करूँ
कौन सी महावर सजाऊँ
कौन सा अल्पना लगाऊँ
कि चल पडें लोक लाज छोडकर
kya baat...kya baat...kya baat...
जवाब देंहटाएंठहर गये हैं दिल की
जवाब देंहटाएंमुंडेर पर ठिठक कर
:) अब मुंडेर पर बैठे ही हैं तो दिखाई दे ही जायेंगे न ;):) सुन्दर अभिव्यक्ति
'प्रीति की झांझर डाली पाँव में '
जवाब देंहटाएं......................वाह वंदना जी ! गज़ब की पंक्ति ....अब तो कदम बढाते ही प्रीति गाएगी ....प्यार नाचेगा
बहुत खूब .जाने क्या क्या कह डाला इन चंद पंक्तियों में
जवाब देंहटाएंसुभानाल्लाह......वाह.....जब से तेरी प्रीत.......मीरा के भाव दिखे हैं इस पोस्ट में.....शानदार....लाजवाब |
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्यारी सी कविता
जवाब देंहटाएंकौन सी महावर सजाऊँ
जवाब देंहटाएंकौन सा अल्पना लगाऊँ
कि चल पडें लोक लाज छोडकर
alhad purwaiya si baat
दिल की मुंडेर-वाह वंदना जी वाह,क्या बात है.
जवाब देंहटाएंशब्द कुछ और गढ़ने चाहिए ,
जवाब देंहटाएंमुंडेर के पास ही नहीं ठिठकना चाहिए,
निकलने दीजिये कोई बात ,
न कहने की कसक निकालनी चाहिए. अच्छे शब्द बधाई
प्रीति में असीमित ऊर्जा है।
जवाब देंहटाएंसमर्पण का महावर, समर्पण की ही अल्पना
जवाब देंहटाएंजब प्रीत की झांझर हो डाली हो पांव में
कैसे साकार हो सकेगी कोई और कल्पना।
बहुत सुंदर प्रीति की झांझर बजा कर नाचोगी तो शोर हो जायेगा और फिर ..............
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर अभिव्यक्ति !! धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंमनोभावों का बहुत बढ़िया चित्रण किया है आपने!
थोड़ा सा कदम बढ़ा कर देखें।
जवाब देंहटाएंप्रेम की इंतहा....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना
अच्छे शब्द संयोजन
दिल की मुंडेर पर झांझर की झंकार ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर !
अब प्रीत की झांझर है पाँव में, फिर क्या सोचना !
जवाब देंहटाएंदिल के कोमल भावों की सुंदर अभिव्यक्ति ...
प्रीत की झांझर, दिल की मुंडेर...वाह, कितने सुंदर बिम्बों का प्रयाग किया है आपने।
जवाब देंहटाएंकविता के कथ्य और शिल्प में ताजगी है।
बधाई, वंदना जी।
सुन्दर अभिव्यक्ति,बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबधाई..............
bhut bhut pyar panktiya...
जवाब देंहटाएंप्रीति की झांझर पहनने के बाद भौतिक श्रृंगार बेमानी हो जाते हैं ,फिर भी प्रियतम की अपेक्षा पूर्ण करने के लिए कुछ प्रश्न मन में उभर ही जाते हैं.भाव-प्रवण रचना.
जवाब देंहटाएंye jhankaar hi to sir se lekar dil aur dimaag tak gunjti hai,
जवाब देंहटाएंlok laaj duniya kahaan dekhti hai....!
आपकी रचना पढकर "हीरो" फिल्म का गीत "प्यार करने वाले कभी डरते नहीं " याद आ गया ... सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंग़ज़ल में अब मज़ा है क्या ?
आदरणीया वंदना जी -बहुत ही सुन्दर रचना -छोटी मगर प्रेम रस को छलकाती-मन को सराबोर कर गयी -प्रेमिका का प्रेमी के स्वागत में श्रृंगार -भाव मुंडेर तक -बधाई हो
जवाब देंहटाएंआशा है आप अपने सुझाव , समर्थन , स्नेह देती रहेंगी
साभार -
शुक्ल भ्रमर ५
....
जवाब देंहटाएंहर पंक्ति दिल तक पहुँचती हुई....
दिल की बात आपने बहुत दिल से लिखी है.......
आपको फौलो कर रही हूँ:)
bahut sunder....
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी रचना |बधाई |
जवाब देंहटाएंआशा
वाह वंदना जी! बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने जो प्रशंग्सनीय है!बधाई!
जवाब देंहटाएंजब से तेरे प्रीत की
जवाब देंहटाएंझांझर डाली है पाँव में ....
कौन सी महावर लगाऊं,
कौन सा अल्पना लगाऊं .....
प्रेम की बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति !
कोमल एहसास...
जवाब देंहटाएंजब पाँव में झांझर झनके
तो शोर होना ही है...!
अति सुन्दर...!!
Vabdana ji,atyant hi prembhav se oat proat hai yah kavita...Bimbon ka prayog ati uttam.accha laga padha kar.
जवाब देंहटाएंकलात्मक प्रेम का स्वाद चखाती छोटी सी कविता !
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