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मंगलवार, 31 मई 2011

हाय रे ब्लोगर तेरी यही कहानी

हाय रे ब्लोगर तेरी यही कहानी
हाथों मे कीबोर्ड और आँखो मे पानी
कैसे कैसे ख्वाब संजोता है
कभी पद्म श्री तो कभी पद्म विभूषण
की आस लगाता है
पर इक पल चैन ना पाता है
ये ब्लोगिंग की कैसी कहानी
कहीं है झूठ तो कहीं है नादानी
कोई खींचता टांग किसी की
तो कोई आसमाँ पर बैठाता है
किसी को धूल चटाता है तो
किसी को तिलक लगाता है
हाय रे ब्लोगिंग ये कैसी कारस्तानी
बड़े बड़ों को तूने याद दिला दी नानी
बेचारा ब्लोगर इसके पंजों में फँस जाता है
अपनों से जुदा हो जाता है
फिर टर्र टर्र टार्राता है
ब्लोगिंग के ही गुण गाता है
शायद कोई मेहरबान हो जाये
और दो चार टिप्पणियों का दान हो जाये
या कोई अवार्ड ही मिल जाये
और किसी अख़बार में उसका नाम भी छप जाए
इसी आस में रोज अपना खून सुखाता है
ब्लोगिंग का कीड़ा रोज उसे काट खाता है
और राम नाम की रटना छोड़
रोज ब्लोगिंग ब्लोगिंग गाता है
नाम के फेर में पड़ कर
की बोर्ड चटकाता है
मगर चैन कहीं ना पाता है
हाय रे ब्लोगर तेरी यही कहानी
हाथों मे कीबोर्ड और आँखो मे पानी

43 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया व्यंग्य रचना है यह तो!
    मैं तो यह कहता हूँ कि-
    हाय रे ब्लोगर तेरी यही कहानी
    गर्दन में दर्द और आँखो मे पानी
    नशे की लगी है लत ऐसी
    नाहक गँवाता है नेट पर जवानी

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  2. @ डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण
    अब सबका यही हाल होने वाला है
    गर्दन मे सबकी पट्टा डलने वाला है
    मान जाओ ओ ज्ञानी ध्यानी
    ब्लोगिंग मे मत गंवा जवानी

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  3. हा हा हा हा हा हा बहुत रोचक रचना...हम सब ब्लोगर्स के मन की व्यथा है इसमें....

    नीरज

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  4. ब्लोगिंग की दुनियाँ का सच खूबसूरत अंदाज़ में पेश करने के लिए साधुवाद !

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  5. हा हा हा ..अरे इतना सच सच भी बोलता है क्या कोई :)
    बहुत बढ़िया.

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  6. @ shikha varshney
    अब क्या करूँ झूठ बोलने की आदत नही है।

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  7. ब्लॉगिंग की सामुहिक पीड़ा को स्वर दिया!!

    क्या खूब रचाना है, सहा भी न जाए और इस रचना के खिलाफ कुछ कहा भी न जाए!!:))

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  8. आदरणीय सुश्रीवंदनाजी,

    बहुत सटिक व्यंग किया है आपने,

    हमारी बधाई स्वीकार करें।

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  9. बहुत बढ़िया वंदनाजी ........ रोचक और सटीक रचना :)

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  10. हर ब्लॉगर के मन कि बात बड़ी सच्चाई से कह दी :):) बहुत बढ़िया ..

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  11. अच्छा व्यंग्य है| कमोबेश हर ब्लॉगर की यही हालत है|

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  12. वह वंदना जी -बहुत बढ़िया लिखा है ...!!

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  13. bahut sahi ...ajakal ki yahi hai ravani ...fir dekh blagar apani kahani ..rochak hai ..vaah

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  14. आप ने तो ब्लागरो की दुखती रग पर हाथ रख दिया, बहुत सुंदर धन्यवाद

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  15. सत्य वचन। बिल्कुल सही नब्ज पकड़ी है।

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  16. हम सब ब्लोगर्स के मन की व्यथा है, बहुत बढ़िया.

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  17. इसी आस में रोज अपना खून सुखाता है
    ब्लोगिंग का कीड़ा रोज उसे काट खाता है
    और राम नाम की रटना छोड़
    रोज ब्लोगिंग ब्लोगिंग गाता है

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  18. हा हा हा... अथ: श्री ब्लोगर कथा...

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  19. हाय रे ब्लोगर तेरी यही कहानी
    हाथों मे कीबोर्ड और आँखो मे पानी
    ..badiya blograag... lage rahiye.. kuch n kuch chalte rahna chahiye....

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  20. he he he he..........
    sach me aisa hi to hai...
    hai re blogger teri yahi kahani hai...:D

    ab to vandana ko padmshree banta hai:D

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  21. sach me aankhon me pani aa gaya vandna G

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  22. सही है जी.. सबको यह कीड़ा काटा हुआ है.. पहले पोस्ट करते हैं और फिर टिप्पणी करते हैं इस आस में कि उनके पोस्ट पर भी टिप्पणी हो.. और यह चक्र चलता ही रहता है इस दुनिया मायाजाल की तरह..

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  23. अच्छी रचना । हास्य भी और व्यंग्य भी ।क्या बात है ।

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  24. कुछ ब्लागिंग का चढावा इस ब्राम्हण को भी मिल जाए माते...

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  25. वंदनाजी बहुत बढ़िया व्यंग्य है....बधाई

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  26. बहुत खूब वंदना जी.
    हास्य ,व्यंग्य के साथ ही सच्चाई भी बयां कर दी.
    ब्लागर क्या न कर गुजरेंगे
    ना सुधरे हैं , ना सुधरेंगे
    देर रात तक जाग-जाग कर
    खुद को ही बेचैन करेंगे.

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  27. बहुत ही बढ़िया व्यंग्य ... पढके मज़ा आ गाय ... बिलकुल अनाविल सत्य ..

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  28. क्या बात है आज तो अंदाज़ ही निराला है वंदना जी.......पर क्या हर ब्लॉगर ऐसा ही सोचता है?

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  29. बढ़िया रचना .. आनंद से भर दिया ...

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  30. hakihat bayan karata hua saarthak byang,aapka likhne ka andaaj anootha hai,har rachanaa benmisaal hoti hai.badhaai sweekaren.



    please visit my blog.thanks.

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  31. बढिया....
    पर क्‍या करें
    अब तो यह रोग लग गया है
    छूटने वाला नहीं
    और छूटा तो हम छोडने वाले नहीं
    बहरहाल
    मजेदार

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