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बुधवार, 19 अक्टूबर 2011

यूँ ही डिग्रियां नहीं मिलतीं मोहब्बत की

मत खुलना कभी
किताब की तरह
तुम्हें पन्ने दर पन्ने
सुलझाना 
एक पहेली की तरह
अच्छा लगता है
आखिर कुछ तो हो
जिसकी तलाश में 
जूनून कायम रहे
यूँ पढ़ तो लिया है 
हर हर्फ़ तुम्हारी 
खामोश निगाहों में
मगर अभी उसकी
व्याख्या बाकी है
आखिर समीक्षक 
भी तो होना चाहिए
हर लफ्ज़ में घुटे
चीत्कार करते 
अहसासों को 
तर्क की कसौटी 
पर कसकर फिर 
उसके सन्दर्भ 
पर शोध भी तो 
करना होगा 
आखिर यूँ ही थोड़े 
किसी लफ्ज़ 
किसी भाव
या किसी चाहत को तुम्हारी
सरसरी तौर पर पढ़ा है
शोध की दिशा में
गहन अध्ययन आवश्यक होता है
यूँ ही डिग्रियां नहीं मिलतीं मोहब्बत की 

41 टिप्‍पणियां:

  1. यूँ पढ़ तो लिया है हर हर्फ़ तुम्हारी खामोश निगाहों में मगर अभी उसकी व्याख्या बाकी है... ध्यानावस्थित मन ही आँखों के हर्फ़ पढ़ पाता है

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  2. गहन शोध ज़रुरी है ... वैसे मुहब्बत की डिग्री मिलती है क्या ?

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  3. Agar mohabbat me bhi digri hoti to baat hi kya thi..........
    Nice poem,jai hind jai bharat

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  4. यूं ही नहीं मिलती मुहब्‍बत की डिग्रियां....
    बेहतरीन प्रस्‍तुति।

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  5. व्याख्या,तर्क,समीक्षा,घुटन और चीत्कार जहां हो,वहां मुहब्बत नहीं,कुछ और रहा होगा!

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  6. एक आग का दरिया है और डूब कर जाना है ..सच है आसान नहीं मोहब्बत.

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  7. मुहब्बत में डिग्री मिलनी बहुत दूर की बात है..हम तो इसमें पास हो जाए बहुत है....इस शोध के लिए शुभकामनाएं।

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  8. संवेदना से भरी कविता... बहुत सुद्नर...

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  9. वंदना जी
    कोई डिग्री तो नक़ल करके ली जा सकती है किन्तु मोहब्बत की डिग्री के लिए बड़ी मेहनत करनी पड़ती है बेहतरीन प्रस्तुति

    मधु त्रिपाठी MM
    tripathi873@gmail.com
    http://www.kavyachitra.blogspot.com

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  10. वंदनाजी

    हमारे ब्लॉग पर आप पधारे मुझे अच्छा लगेगा
    htpp://www.kavyachitra.blosspot.com

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  11. क्‍या बात है आपने तो नि:शब्‍द कर दिया यहां ..।

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  12. Are wah aise to kabhi socha nahi.. sach is course ko padhne ka motivationk hatam hota jata tha.. aapne wapas jila dia.. shukriya :)

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  13. मुहब्बत की डिग्री हर किसी क हांसिल कहाँ होती है ... लाजवाब ...

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  14. वंदना जी नमन है आपकी लेखनी को..अद्भुत रचना.

    नीरज

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  15. बहुत बढ़िया!
    कौन से विश्वविद्यालय में पी.एच.डी. के लिए शोध जमा करना होगा?

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  16. शोध जारी रहे ... डिग्री जल्द मिले

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  17. शोध से कई सत्य नए सिरे से स्थापित हो जाते हैं....!
    सुन्दर रचना!

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  18. शोध से कई सत्य नए सिरे से स्थापित हो जाते हैं....!
    सुन्दर रचना!

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  19. बेहतरीन रचना.
    अजीब विश्व और अजीब विद्यालय है-
    किताबों का गहन अध्ययन कर शोध करे,डॉक्टर की डिग्री मिलती है.
    दिल की किताब का गहन अध्ययन कर शोध करे,मरीज की डिग्री मिलती है.
    और इस मरीज का इलाज वो करता है जिसने न कभी अध्ययन किया है न किसी तरह का शोध.

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  20. वाह! बहुत सुन्दर एवं शानदार रचना लिखा है आपने! बधाई!

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  21. aajkal to har koi mohabbat ki degree liye ghoomta hai....bas farq itna hota hai ki wo degrees farzee hoti hain!!!!!

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  22. मुहब्बत में डिग्री.........वंदना जी आप कमाल हैं........बहुत पसंद आई पोस्ट|

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  23. मुहब्बत की डिग्रीयों पर कविता,वाह क्या बात है.
    नयी approach.

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  24. वाह वाह! बहुत ही सुन्दर रचना...
    सादर बधाई...

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  25. यूं हीं नई मिलती मोहब्बत की डिग्रीयाँ...बहुत खूब वंदना जी .....

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  26. आखिर कुछ तो हो जिसकी तलाश में जूनून कायम रहे ...
    ववाह क्या बात है !

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  27. मोहब्बत को कौन परिभाषित कर पाया है वंदना जी .....

    पर आपने शोध आरम्भ किया है तो शुभकामनाएं ....

    मोहब्बत पर पी एच डी ....बहुत खूब ....:))

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  28. sharda ji dwara mail par bheja gaya comment
    Vandna ji
    bahut koshish ki aapki kavita par ye tippni dene kee , magar error hi
    aati rahi ...
    "यूँ ही डिग्रियां नहीं मिलतीं मोहब्बत की"
    बढ़िया , कवित्री मन का शोध ...बधाई ....
    Sharda Arora

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  29. समय- समय पर मिले आपके स्नेह, शुभकामनाओं तथा समर्थन का आभारी हूँ.

    प्रकाश पर्व( दीपावली ) की आप तथा आप के परिजनों को मंगल कामनाएं.

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  30. मंगल मय हो सबको दीपों का त्यौहार ,दीपों का आकाश .आभार इस हलचल के लिए . .शानदार प्रस्तुति .यूं ही डिग्रियां नहीं मिलती मोहब्बत की .

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अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया