पेज

सोमवार, 26 दिसंबर 2011

बरस सच मे नव वर्ष बन जाये


किसे दूँ कैसे दूँ 
कौन सी दूँ कामना 
जो शुभ हो जाए 
बरस सच मे 
नव वर्ष बन जाये 

यहाँ तो खाली गिलास है 
और दूध भी पास नही
प्यास कोई है नही 
तो दरिया भी पास नही 
कैसे भरे पैमाना 
जो छलक छलक जाये 
बरस सच मे 
नव वर्ष बन जाये 

यहाँ तो रुका हुआ कारवाँ है 
और साथी ना कोई साथ है 
भीड है , महफ़िल है 
मगर फिर भी 
तन्हाई का साथ है 
किसे दूँ आवाज़ 
जो गीत कोई बन जाये 
बरस सच मे 
नव वर्ष बन जाये 

12 टिप्‍पणियां:

  1. नव वर्ष पर ये उदासी भरी नज़म ...
    २०१२ की खुशी का जाम पीजिए और आनद लीजिए तन्हाई को भूल जाइए ...

    आपको और आपके परिवार को नव वर्ष की मंगल कामनाएं ...

    जवाब देंहटाएं
  2. वन्दना जी, यह धरती, आसमान और हवा सभी तो आपकी ओर निहार रहे हैं और आपके भीतर बैठा वह कान्हा भी प्रतीक्षा रत है आपकी शुभकामना के लिये...फिर हम भी तो हैं आपकी कविताओं के पाठकगण..और हमारा यह देश, इसके करोडों बाशिंदे ...सभी तो आपके अपने हैं..आपके दिल की गहराई से निकले शब्द जर्रे जर्रे पर अपना असर छोड़ते हैं...आपको पता ही नहीं कि आप क्या हैं!

    जवाब देंहटाएं
  3. मनोभावों से लबरेज़ रचना.
    नया साल आपके लिए ढेर सारी खुशियाँ लेकर आये.

    जवाब देंहटाएं
  4. नव वर्ष आपके लिए तमाम खुशियाँ लेकर आये.

    जवाब देंहटाएं
  5. kise doon awaaz ?
    ye sawaal har saal naye saal ke pahle aataa hai

    sundar

    जवाब देंहटाएं
  6. नव वर्ष के सृष्टा सूरज और धरती ही बधाई के पात्र हैं।
    इनके साथ आपको भी बधाई और शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  7. किसे दूँ आवाज़
    जो गीत बन जाए
    आगाज़ होगा तो हर आवाज़ गीत बनेगी

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ...नव वर्ष की शुभकामनाएँ ।

    जवाब देंहटाएं
  9. मिलकर मनाएं नववर्ष हम
    बहुत बहुत शुभकामनाएं !

    जवाब देंहटाएं
  10. मिलकर मनाएं नववर्ष हम
    बहुत बहुत शुभकामनाएं !

    जवाब देंहटाएं

अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया