सुना है आज गुलाब दिवस है
क्या गुलाब दिवस होने से
सब गुलाबी हो जाता है
क्या सच मे मोहब्बत के रंग पर
फिर सुरूर चढने लगता है
किसी को गुलाब कहना बेहद आसान है
मगर गुलाब बनना बहुत मुश्किल
रात पर कांटों पर सोता है
तब सुबह जाकर खिलता है
यूँ ही नही गुलाब बना जाता
यूँ ही नही गुलाबी रंग
ज़िन्दगी मे उतरता
यूँ ही नही मोहब्बत सुर्ख होती
तपस्या करनी पडती है
कांटों के बिस्तर पर सोना पडता है
तब जाकर मोहब्बत का गुलाब खिलता है
सिर्फ़ एक दिन की हसरत , सिर्फ़ एक दिन की चाहत , सिर्फ़ एक दिन की ज़िन्दगी के लिये
कहीं देखे हैं ऐसे मोहब्बत के सुलगते गुलाब...........
क्या गुलाब दिवस होने से
सब गुलाबी हो जाता है
क्या सच मे मोहब्बत के रंग पर
फिर सुरूर चढने लगता है
किसी को गुलाब कहना बेहद आसान है
मगर गुलाब बनना बहुत मुश्किल
रात पर कांटों पर सोता है
तब सुबह जाकर खिलता है
यूँ ही नही गुलाब बना जाता
यूँ ही नही गुलाबी रंग
ज़िन्दगी मे उतरता
यूँ ही नही मोहब्बत सुर्ख होती
तपस्या करनी पडती है
कांटों के बिस्तर पर सोना पडता है
तब जाकर मोहब्बत का गुलाब खिलता है
सिर्फ़ एक दिन की हसरत , सिर्फ़ एक दिन की चाहत , सिर्फ़ एक दिन की ज़िन्दगी के लिये
कहीं देखे हैं ऐसे मोहब्बत के सुलगते गुलाब...........
देखो - देखो
गुलाब दिवस आया है
बस एक दिन के लिए ही
गुलाबों का मौसम आया है
सारे प्रेमियों के मन में
गुलाबी सुरूर छाया है
आज गुलाब जरूर देंगे
मोहब्बत का इजहार हम कर देंगे
बस यही कसम खाया है
देखो - देखो गुलाब दिवस आया है
क्या हुआ जो कल
वो भूल जाएगी
किसी और से
वैलेन्टाइन पर
गुलाब पाएगी
मगर आज तो
मैंने पहल की है
गुलाब देकर अपना
जादू चलाया है
अपनी किस्मत को
आजमाया है
देखो- देखो गुलाब दिवस आया है
गर जादू चल गया
तो गुलाब की कली मेरी होगी
और न भी चले मगर
आज तो वो मेरी ही होगी
बस इतनी सोच ये रखते हैं
आज एक तो कल
दूसरी बाला पकड़ते हैं
वैलेन्टाइन डे आते आते तो
इनके सात रंग झलकते हैं
दोस्तों पर रुआब डालते हैं
अपनी अकड़ दिखाते हैं
सबकी नज़र में
एक दिन के रोमियो बन जाते हैं
हर नयी लड़की को
अपनी जूलियट बताते हैं
और बेचारे गुलाब दिवस की
ऐसी तैसी बजाते हैं
मगर गुलाब दिवस की
अहमियत न जान पाते हैं
बस भीड़ का हिस्सा बन
गुलाबों से खिलवाड़ करते हैं
आज की पीढ़ी के
ये नए रंग झलकते हैं
गुलाब का ये हाल देख
बस यही मूंह से निकलता है
देखो - देखो
गुलाब दिवस आया है
बस एक दिन के लिए ही
गुलाबों का मौसम आया है
बहुत खूब ... गुलाब की व्यथा को गुलाब दिवस पर बयान किया है आपने ... लाजवाब ..
जवाब देंहटाएंachchhi prastuti...
जवाब देंहटाएंयूँ तो गुलाब हर हाल में श्रेष्ठ है , पर हाथों हाथ होता है एक नाम पर - जहेनसीब !
जवाब देंहटाएंगुलाब दिवस पर बहुत सुन्दर और गुलाबी रचना। बहुत खुब विश्लेषण किया आपने ।
जवाब देंहटाएंमेरी नई रचना में पधारें-
"मेरी कविता:आस"
gulaabi rachnaa!
जवाब देंहटाएंkhubsurat andaj kahne kaa....
जवाब देंहटाएंगुलाब दिवस पर आपकी गुलाबी कविता पढ़कर आनंद आ गया...वाकई आजकल ऐसा ही होता है....
जवाब देंहटाएंदोनों ही बहुत उम्दा हैं |
जवाब देंहटाएंबसन्त, गुलाब, बलिटाहन गजब संयोग..
जवाब देंहटाएंwaah.....
जवाब देंहटाएंहाँ वंदना जी रात काँटों पर सोना पड़ता है...अस्तित्व दांव पर लगा कर ही कोई गुलाब होता है !
जवाब देंहटाएंगुलाब कि दोनों पंखुडिया अद्वितीय है !
बस एक दिन के लिए ही ...बहुत खूब कहा है आपने ।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ..
जवाब देंहटाएंगुलाब दिवस पर आप को गुलाब ही गुलाब...
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
जवाब देंहटाएंमहोब्बत का प्रतीक है गुलाब ....महोब्बत क़ुरबानी मांगती है ...
जवाब देंहटाएंहर महोब्बत पे कुर्बान होता है गुलाब ....???
पढकर मन गुलाब गुलाब हो गया।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना।
गुलाब की व्यथा बताती . ...सुंदर रचना .....!!
जवाब देंहटाएंगुलाब का मर्म आपने समझाया है .
जवाब देंहटाएंदोनों ही अभिव्यक्ति सुन्दर सी...
जवाब देंहटाएंसच में गुलाब बनना आसान नहीं है..दोनों रचनाएँ बहुत सुंदर...
जवाब देंहटाएंकांटे भी हैं और गुलाब भी। फिर टेंशन क्या है?
जवाब देंहटाएंआज कल हर चीज़ पर बाजारवाद का असर है .. और बेचारे गुलाब पर तो जैसे बरसा कहर है ..
जवाब देंहटाएंदोनों रचनाएँ बढ़िया लगीं
सुन्दर कथा और उसमे छिपी व्यथा...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब..
सस्नेह.