हे कृष्ण
बनो फिर सारथि
अर्जुन के
करो पाञ्चजन्य का घोष
कर दो कर्णभेद शत्रुओं के
देखो ना आज भी
धरा कैसे व्याकुल खडी है
चारों तरफ सिर्फ
दुश्मनों की फ़ौज खडी है
हर ओर से डरी डरी है
ये कैसी संकट की घडी है
जिसमे कहीं ना कोई सुखी है
हाहाकार मच रहा है
बेईमानी लालच ईर्ष्या का
चहुँ ओर तांडव मचा पड़ा है
मानव खुद ही दानव बन गया है
क्या वृद्ध क्या बालक क्या अबला
सबका शोर ना सुनाई दे रहा है
देखो कैसे निर्वस्त्र हो रही है
आज भी द्रौपदी का चीर
दुश्शासन खींच रहा है
फिर क्यूँ ना तुम्हारा
वस्त्रावातार हुआ है
कैसे देख रहे हो अत्याचार
कैसे हो रहा है व्यभिचार
क्या अब कहीं तुम्हें
धर्म सुरक्षित दिख रहा है
जो तुम्हारा फिर से
अवतार ना हो रहा है
सुना है जब भी धर्म
रसातल में जायेगा
अधर्म का बोलबाला हो जायेगा
तब तब सच्चे लोगों के लिए
धर्म की पुनः स्थापना के लिए
मर्यादा की रक्षा के लिए
तुम अवतार लोगे
देखो आज सच्चे ही भय खाते हैं
झूठे हर जंग जीते जाते हैं
अत्याचार भ्रष्टाचार बेईमानी
का फैला कैसा आतंक है
सच्चाई की हो गयी बोलती बंद है
हर रिश्ते की मर्यादा मिट गयी है
पिता पुत्री का रिश्ता भी बेमानी हो गया है
कैसी नृशंसता से
क्या अब अधर्म नहीं हो रहा है
किस निद्रा में सोये हुए हो
जागो कृष्ण ......करो जयघोष
धरा की पीड़ा हरने को
फिर अवतार लो
फिर से सत्य स्थापित करो
और अपने वचन को प्रमाणित करो
वरना धर्म ग्रंथों में उल्लखित
यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारतः
अभ्युत्थानं धर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम
परि्त्राणाय साधुनाम विनाशाय च दुष्कृत:
धर्म संस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे
इस वचन को मिथ्या करो
इस वचन को मिथ्या करो..................
सुदर्शन चक्र हाथों से निकलने को आतुर है
जवाब देंहटाएंकलम कर रहा सचेत है आह्वान के शब्दों से ...
समसामयिक आवाहन ...
जवाब देंहटाएंकलियुग है, घोर कलयुग ..
जवाब देंहटाएंसार्थक आह्वान .... कृष्ण कब लोगे अवतार ?
जवाब देंहटाएंऔर कितनी हो प्रतीक्षा..
जवाब देंहटाएंजाने कब आयेंगे कृष्ण.
जवाब देंहटाएंshbdon ke takash se nikle sunder ''TEER'...BADHAYEE
जवाब देंहटाएंकृष्ण को आना ही होगा !
जवाब देंहटाएंसार्थक आह्वान !
सार्थकता लिए हुए सटीक अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंजब संतजनों का हृदय करेगा घोर चित्कार
जवाब देंहटाएंतभी कृष्ण लेंगें अवतार.
पर अफ़सोस संत बनने से पूर्व ही
अंत हो जाता है हमारा.
पर प्रयास तो जारी रखना होगा ही,वंदना जी.