जहाँ ना पहुंचे रवि वहाँ पहुंचे पाबला जी .......अगर ये कहूं तो कोई अतिश्योक्ति नहीं .....देखिये हमें खबर भी नहीं और पाबला जी ने घर बैठे बता दिया ........दिल से शुक्रगुजार हूँ उनकी .......और मै ही क्या हर वो ब्लोगर होगा जिसे भी वो घर बैठे खबर देते हैं । इतनी मेहनत करना और सूचित करना वो भी बिना किसी स्वार्थ के ………ये सिर्फ़ पाबला जी ही कर सकते हैं।
सोमवार ७ मई २०१२ में पब्लिश पेज ४ पर
आई आई टी का हाल: हरिभूमि में ‘ज़िन्दगी एक खामोश सफ़र’
चाहें तो इस लिंक पर जाकर देख सकते हैं .
badhayi aur sirf badhayi ..
जवाब देंहटाएंhame chahiye is baat kee mithayi
सार्थक प्रश्न उठाया गया था .... तुम्हारी बात समाचार पत्र के माध्यम से लोगों तक पहुंची ॥बधाई
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई...
जवाब देंहटाएंमुबारक हो जी.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई हो...
जवाब देंहटाएंबधाई!...बहुत सार्थक लेख था!.. समाचार पत्र के माध्यम से इसे प्रचारित किया गया...बहुत अच्छा लगा!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर लिखा है
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर लिखा है
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर लिखा है
जवाब देंहटाएंbadhaai
जवाब देंहटाएंbahut bahut badhi ho vandana ji
जवाब देंहटाएंबधाई जी।
जवाब देंहटाएंबधाई जी।
जवाब देंहटाएंbahut badhiyaa...congrats!!
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन रचना....
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
बहुत बेहतरीन रचना....
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
पाबला महान हैं....
जवाब देंहटाएंबहुत - बहुत बधाई सहित शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंबधाई
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