"दश पुत्र समां कन्या, यस्या शी
कितना हास्यास्पद लगता है ना
आज के परिप्रेक्ष्य में ये कथन
दोषी ठहराते हो धर्मग्रंथों को
अर्थ के अनर्थ तुम करते हो
नारी को अभिशापित कहते हो
दीन हीन बतलाते हो
मगर कभी झांकना ग्रंथों की गहराइयों में
समझना उनके अर्थों को
तो समझ आ जायेगा
नारी का हर युग में किया गया सम्मान
ये तो कुछ जड़वादी सोच ने
अपने अलग अर्थ बना दिए
और नारी को कहो या बेटी को या पत्नी को
सिर्फ भोग्या बना डाला
सिर्फ अपने वर्चस्व को कायम रखने को
तुमने बेटी के अधिकारों का हनन किया
जबकि इन्ही ग्रंथों ने
एक शीलवान कन्या को
दस पुत्रों समान बतलाया
तो बताओ कैसे तुमने
गर्भ में ही कन्या का गला दबाया
और पुत्र की चाहत को सर्वोपरि बतलाया
पुत्र भी कुल कलंकी होते हैं
बेटियां तो दो घरों को संजोती हैं
ये सब तुम्हारा रचाया व्यूह्जाल था
जिसमे तुमने नारी को फंसाया था
समाज मर्यादा का डर दिखलाया था
वरना नारी कल भी पूजनीय थी
वन्दनीय थी शक्ति का स्त्रोत थी
और आज भी उसकी महत्ता कम नहीं
बस अब इस सच को तुम्हें समझना होगा
धर्मग्रंथों का फिर से विश्लेषण करना होगा
क्यूँकि तुमने इन्हें ही नारी के खिलाफ हथियार बनाया था
एक बार फिर से सतयुग का आह्वान करना होगा
और हर कथन का वास्तविक अर्थ समझना होगा
वाह वंदना जी आपको प्रणाम , सही मुद्दा उठाया है आपने,
जवाब देंहटाएंज़माने से हटकर कुछ करना होगा,
जीना होगा या फिर मरना होगा.
गहन भाव लिए बहुत ही सशक्त अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंशशक्त अभिव्यक्ति ..नारी को सबला बनना होगा......प्रेरक आह्वान ...सादर !!
जवाब देंहटाएंअपने वर्चस्व को कायम रखने को तुमने बेटी के अधिकारों का हनन किया जबकि इन्ही ग्रंथों ने एक शीलवान कन्या को दस पुत्रों समान बतलाया तो बताओ कैसे तुमने गर्भ में ही कन्या का गला दबाया और पुत्र की चाहत को सर्वोपरि बतलाया पुत्र भी कुल कलंकी
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर व्याख्या किस पंक्ति पर ना लिक्खुं
naari utthan desh ka uthhan..:)
जवाब देंहटाएंसशक्त अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंtum bas yuhi alakh jagaati raho
जवाब देंहटाएंham bas yuhi aa kar apna gyaan badhaatae rahaege
what a beautiful piece of work
keep it up
बहुत खूब वंदना....नारी के जीवन को समझाने के लिए
जवाब देंहटाएंबहुत सशक्त लेखन ...
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट कृति
जवाब देंहटाएं--- शायद आपको पसंद आये ---
1. अपने ब्लॉग पर फोटो स्लाइडर लगायें
बहुत सार्थक मुद्दा उठाती सशक्त अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंखूब कोसा है आपने वन्दना जी कन्या की अवहेलना
जवाब देंहटाएंकरने वालो को.
सार्थक और सशक्त प्रस्तुति.
इस सामाजिक दंश को हम झेलने को विवश क्यों हैं?
जवाब देंहटाएंइसके प्रति हर स्तर पर प्रतिकार होना चाहिए।
stri vimarsh ko prtidhvnit krti ek sshkt rchna ke liye sadhuwaad .
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक मुद्दा
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