बरसात के बाद
जब मौसम करवट लेता है
शिशिर के आगमन से पहले
और बरसात के बाद की अवस्था
मौसम की अंगडाई का दर्शन ही तो होती है
शिशिर के स्वागत के लिए
हरा कालीन बिछ जाता है
वैसे ही
जब मोहब्बत की बरसात के बाद
जब इश्क करवट लेता है
पूर्णत्व से पहले की प्रक्रिया
मोहब्बत की सांसों को छीलकर
उसे सजाना संवारना
और पूर्णता की ओर ले जाने का उपक्रम
किसी मौसम का मोहताज नहीं होता
वहाँ मोहब्बत जब
प्रेम में तब्दील होती है
और प्रेम जब इबादत में
तब खुदाई नूर की चिलमन के उस तरफ
आगाज़ होता है एक नयी सुबह का
महबूब के दीदार से परे
उसकी रूह में उतरने का
उसके अनकहे को पढने का
उसकी चाहतों पर सजदा करने का
और मिल जाती है वहाँ
परवान चढ़ जाती है वहाँ
मोहब्बत कहो या इश्क कहो या प्रेम कहो या खुदा ............अपने वजूद से
समा जाती है मोहब्बत ..........मोहब्बत में
बरसात के बाद शिशिर के आगमन से पहले...........…
जब मौसम करवट लेता है
शिशिर के आगमन से पहले
और बरसात के बाद की अवस्था
मौसम की अंगडाई का दर्शन ही तो होती है
शिशिर के स्वागत के लिए
हरा कालीन बिछ जाता है
वैसे ही
जब मोहब्बत की बरसात के बाद
जब इश्क करवट लेता है
पूर्णत्व से पहले की प्रक्रिया
मोहब्बत की सांसों को छीलकर
उसे सजाना संवारना
और पूर्णता की ओर ले जाने का उपक्रम
किसी मौसम का मोहताज नहीं होता
वहाँ मोहब्बत जब
प्रेम में तब्दील होती है
और प्रेम जब इबादत में
तब खुदाई नूर की चिलमन के उस तरफ
आगाज़ होता है एक नयी सुबह का
महबूब के दीदार से परे
उसकी रूह में उतरने का
उसके अनकहे को पढने का
उसकी चाहतों पर सजदा करने का
और मिल जाती है वहाँ
परवान चढ़ जाती है वहाँ
मोहब्बत कहो या इश्क कहो या प्रेम कहो या खुदा ............अपने वजूद से
समा जाती है मोहब्बत ..........मोहब्बत में
बरसात के बाद शिशिर के आगमन से पहले...........…
प्यार के हर मौसमी रंग हैं आपकी कलम में
जवाब देंहटाएंYou have written a very informative article with great quality content and well laid out points. I agree with you on many of your views and you’ve got me thinking. 95. Fantastic publish
जवाब देंहटाएंFrom India
मुहब्बत से इबादत तक का मार्ग प्रशस्त करती सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसच में तब मौसम अपनी तरंग में रहता है।
जवाब देंहटाएंगहन भाव लिये हर शब्द बहुत कुछ कहता हुआ ... उत्कृष्ट अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंइस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (29-09-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
क्या बात है...
जवाब देंहटाएंसमा जाती है मोहब्बत मोहब्बत में...
शिशिर के आगमन से पहले प्यार परवान चढ रहा है ।
जवाब देंहटाएंलेकिन ये स्थिति आने से पहले सब कुछ विसर्जन करना पड़ता है .पतझड़ सा झड जाना होता है .पत्ते जाते भी रंग बदलते हुएँ हैं .यहाँ (कैंटन ,मिशिगन )तो इन दिनों रंगों का मेला लगा है .पतझड़ ख्यात है यहाँ का .फूलों वाले वृक्ष झर झर कर झड़ते ज़रूर हैं लेकिन रंगों की एक ऐसी मनोहारी छटा बिखेरते हैं जो मोहब्बत सी बस जाती है दिलो दिमाग में .बेहद बढ़िया रचना .
जवाब देंहटाएंजख्म जो फूलों ने दिए पर
वाह बहुत सुन्दर पोस्ट।
जवाब देंहटाएंमोहब्बत के मौसम...
जवाब देंहटाएंमौसम से जुड़ी मोहब्बत.....
बहुत सुन्दर वंदना जी.
अनु
आज 29/09/2012 को आपकी यह पोस्ट ब्लॉग 4 वार्ता http://blog4varta.blogspot.in/2012/09/4_29.html पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआपके उमड़ते जज्बात
जवाब देंहटाएंकह जाते हैं गहन सी बात
सुन्दर प्रस्तुति.
प्यार ही प्यार ...और ऊपर से उसका खुमार ...वाह बहुत खूब
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