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गुरुवार, 4 अक्टूबर 2012

उधार की सुबहों से ज़िन्दगी नहीं गुज़रा करती

करवटों ने साजिश की ऐसी, पायताने बदल गए
जो रूह के सुर्ख गुलाब थे, तेरी ख़ामोशी की भेंट चढ़ गए
अब नहीं लिखती नज़्म कोई तेरे शानों पर
पीठ पर देख तो कैसे फफोले पड़ गए
ये नामों के उधार कैसे चुकाती , ये सोच
नामों के ही पर कुतर दिए .............
अब चमड़ी के उधड़ने का डर नहीं
देख नाखून सारे खुरच दिए
यूँ सिलसिले बेतरतीबी के तरतीब में बदल गए
मगर  पेशानी पर तुम्हारी बल फिर भी पड़ गए
जब जाड़े की रातों में करवट तुम बदल गए
मेरी सिलवटों में देख वट और पड़ गए
जो  खोखली रवायतों पर सिर मैंने झुका दिया
तेरे कमान से देख तीर फिर भी निकल गए
आसमाँ की खामोशी पर तारे सारे पिघल गए
रात के सीने पर खून के आँसू उबल गए
अब सुबह की दरकार किसे
रुसवाइयों के आँगन में
तनहाइयों की महफ़िल में
हम तो रात में ही मर गए
और जीवन मृत्यु के फेर से
मुक्त जैसे हो गए , मुक्त जैसे हो गए .............

उधार की सुबहों से ज़िन्दगी नहीं गुज़रा करती ..........जानते हो ना मनमीत मेरे !!!!!!!!!

20 टिप्‍पणियां:

  1. जबसे समझा
    मायना अपने होने का
    सुबह भी अपनी है
    ज़िंदगी तो थी ही!

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  2. jab kamaano se teer nikalna tay hai to kyu ravayato k aage sir jhukaya jaaye???

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  3. उधार बहुत भार देता है...और भार ढोने की क्षमताएं अब मूक हो चुकी हैं

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  4. जो खोखली रवायतों में सिर मेने झुका दिया...

    आन्दौलित करती रचना. बहुत खूब

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  5. हर शब्‍द मन को छूता हुआ ...
    करवटों ने साजिश की ऐसी, पायताने बदल गए जो रूह के सुर्ख गुलाब थे, तेरी ख़ामोशी की भेंट चढ़ गए अब नहीं लिखती नज़्म कोई तेरे शानों पर पीठ पर देख तो कैसे फफोले पड़ गए
    नि:शब्‍द करते हुए भाव ...
    आभार इस उत्‍कृष्‍ट अभिव्‍यक्ति के लिए

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  6. गहराई से भावों का चित्रण किया है....
    बहुत सुंदर रचना वंदना जी ......

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  7. होय पेट में रेचना, चना काबुली खाय ।

    उत्तम रचना देख के, चर्चा मंच चुराय ।

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  8. दूसरों की अपेक्षाओं पर खरे उतरते थक गये !
    बहुत बेहतरीन !

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  9. अच्छी रचना
    कभी कभी ही ऐसी भावपूर्ण रचना पढने को मिलती है।
    शुभकामनाएं.



    मेरे नए ब्लाग TV स्टेशन पर देखिए नया लेख
    http://tvstationlive.blogspot.in/2012/10/blog-post.html



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  10. बहत खूब वंदना जी |नारी मन का जीवंत चित्रण |

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  11. बहुत खूब वंदना जी | नारी मन का जीवंत चित्रण|

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  12. बेहतरीन अंदाज़..... सुन्दर
    अभिव्यक्ति......

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  13. सुन्दर रचना... पढ़कर मन प्रसन्न हो गया...
    शुभकामनायें... कभी आना... http://www.kuldeepkikavita.blogspot.com

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