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बुधवार, 30 जनवरी 2013

बेचैन हूँ ………जाने क्यों ?

कोई भी आकलन करने की
खुद को कटहरे में खडा करने की
या दूसरे पर दोषारोपण करने की
किसी भी स्थिति से मुक्त करने की
कोई जद्दोजहद नहीं कर सकती

विश्राम की भी अवस्था नहीं ये

तटबंधों पर खामोश खडा तूफ़ान भी नहीं ये
बेवजह जिरह करने की तबियत भी नहीं ये
सुलगता दावानल भी नही ये

फिर क्या है जो बेचैन किये है

वक्त , हालात या परिस्थितियाँ
या मुक्तिबोध से पूर्व की अवस्था

सिमटने को मुट्ठी ना फ़ैलने को आकाश चाहिये

मुझे बस मेरा एक अदद साथ चाहिये
क्योंकि
बेचैन हूँ …………जाने क्यों ?

बेवजह की बेचैनी का कोई तो सबब होगा यारों ………

8 टिप्‍पणियां:

  1. बैचेनी के गहराई मेँ शातिँ का निवास हैँ जाकर दिखियेँ

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  2. जब सत्य अवरुद्ध होता है तो अवश शिथिल मन ऐसी ही स्थिति में होता है ...
    सबब कलम है न

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  3. आज हमें खुद की बेचैनी का कारण ढूँढने तक का समय नहीं है
    कारण तो हमारे ही अन्दर होता है
    सुन्दर व सार्थक रचना
    सादर आभार !

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  4. बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........

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  5. बहुत ही विषम परिस्थितियाँ हैं, उनमे मन को चैन कहाँ
    सार्थक कविता

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  6. मन को उद्वेलित करती बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति...

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अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया