कोई भी आकलन करने की
खुद को कटहरे में खडा करने की
या दूसरे पर दोषारोपण करने की
किसी भी स्थिति से मुक्त करने की
कोई जद्दोजहद नहीं कर सकती
विश्राम की भी अवस्था नहीं ये
तटबंधों पर खामोश खडा तूफ़ान भी नहीं ये
बेवजह जिरह करने की तबियत भी नहीं ये
सुलगता दावानल भी नही ये
फिर क्या है जो बेचैन किये है
वक्त , हालात या परिस्थितियाँ
या मुक्तिबोध से पूर्व की अवस्था
सिमटने को मुट्ठी ना फ़ैलने को आकाश चाहिये
मुझे बस मेरा एक अदद साथ चाहिये
क्योंकि
बेचैन हूँ …………जाने क्यों ?
बेवजह की बेचैनी का कोई तो सबब होगा यारों ………
बेचैनी से राह मिलेगी..
जवाब देंहटाएंबैचेनी के गहराई मेँ शातिँ का निवास हैँ जाकर दिखियेँ
जवाब देंहटाएंजब सत्य अवरुद्ध होता है तो अवश शिथिल मन ऐसी ही स्थिति में होता है ...
जवाब देंहटाएंसबब कलम है न
सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंhttp://voice-brijesh.blogspot.com
आज हमें खुद की बेचैनी का कारण ढूँढने तक का समय नहीं है
जवाब देंहटाएंकारण तो हमारे ही अन्दर होता है
सुन्दर व सार्थक रचना
सादर आभार !
बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
जवाब देंहटाएंबहुत ही विषम परिस्थितियाँ हैं, उनमे मन को चैन कहाँ
जवाब देंहटाएंसार्थक कविता
मन को उद्वेलित करती बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
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