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शनिवार, 2 फ़रवरी 2013

अवसान तो होना ही है …………

एक और दिन गुज़र गया
क्या कहूँ इसे
कम हो गया ज़िन्दगी से
या मौत से इश्क फ़रमाने
की दिशा में बढ गया
अरे रे रे ………
इसे निराशा मत कहना
हताशा मत कहना
ज्ञानोदय मत कहना
जीवन दर्शन है ये तो
आशा निराशा से परे
मझधार में चलती कश्ती का
किनारे की तरफ़ प्रवाह
कभी नैराश्य की ओर नहीं धकेलता
यही है सत्य ………यही है सत्य
आवागमन का
फिर चाहे दिवस हो या ज़िन्दगी
अवसान तो होना ही है …………

12 टिप्‍पणियां:

  1. फिर चाहे दिवस हो या ज़िन्दगी
    अवसान तो होना ही है ……

    सार्थक बात कही आपने सहज भावों वाली सुंदर कविता....वन्दना जी

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  2. हर शब्‍द बहुत कुछ कहता हुआ, बेहतरीन अभिव्‍यक्ति

    @ संजय भास्कर

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  3. गूढ़ अर्थ लिए सुंदर रचना .....

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  4. हर प्रकृतिजनित जीवन ढलता,
    तब रात ढली, अब दिन ढलता।

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  5. जब आये हैं तो जाना है,
    कब अपना यहाँ ठिकाना है.

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  6. उदय और अवसान तो कुदरत का नियम है!
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

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  7. युगों का अवसान हुआ
    पर ............ अवसान के आगे हमेशा उदय है

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  8. वाह ! सरल सहज शब्दों में जीवन का सत्य..

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  9. अभिव्यक्ति को शब्द दे दिए गए हैं ....

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अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया