यूँ भी फ़ना होने के हर शहर के अपने रिवाज़ होते हैं …………
बिना आँच के भट्टी सा सुलगता दर्द रूह पर फ़फ़ोले छोड गया आओ सहेजें इन फ़फ़ोलों में ठहरे पानी को रिसने से ………… कम से कम निशानियों की पहरेदारी में ही उम्र फ़ना हो जाये तो तुझ संग जीने की तलब शायद मिट जाये क्योंकि ……… साथ के लिये जरूरी नहीं चांद तारों का आसमान की धरती पर साथ साथ टहलना यूँ भी फ़ना होने के हर शहर के अपने रिवाज़ होते हैं …………
@महेन्द्र श्रीवास्तव जी मैने तो ऐसा सोच कर लिखा ही नही था क्योंकि दोनो रचनायें काफ़ी समय के अन्तराल पर लिखी गयी थीं मगर आपके कहने पर जब दोबारा दोनो को पढा तो लगा आपका कहना भी सही है ………यही होती है पाठकीय नज़र जो लेखक को भी अभिभूत कर देती है कि कितनी संजीदगी से पढता है कोई हमको और यही एक लेखक के लिये उसके जीवन का सबसेबडा तोहफ़ा होता है …………हार्दिक आभारी हूँ आपकी :)
साथ के लिये जरूरी नहीं चांद तारों का आसमान की धरती पर साथ साथ टहलना सुंदर पंक्तियाँ ..सादर बधाई के साथ ..मेरे ब्लॉग पर भी आपका आगमन बहुप्रतीक्षित है ..सादर
आपने क्रमश : भले ना लिखा हो, पर मुझे लगता है कि आपकी पहली रचना, "पता नहीं वो सच था या ये " का ये दूसरा भाग है..
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना,
रचना में व्यक्त दर्द को आसानी से समझा जा सकता है। बहुत सुंदर
@महेन्द्र श्रीवास्तव जी मैने तो ऐसा सोच कर लिखा ही नही था क्योंकि दोनो रचनायें काफ़ी समय के अन्तराल पर लिखी गयी थीं मगर आपके कहने पर जब दोबारा दोनो को पढा तो लगा आपका कहना भी सही है ………यही होती है पाठकीय नज़र जो लेखक को भी अभिभूत कर देती है कि कितनी संजीदगी से पढता है कोई हमको और यही एक लेखक के लिये उसके जीवन का सबसेबडा तोहफ़ा होता है …………हार्दिक आभारी हूँ आपकी :)
जवाब देंहटाएंगहरा भेदता शब्दक्रम।
जवाब देंहटाएंसाथ के लिए जरूरी नहीं ...
जवाब देंहटाएंबहुत सही कहा आपने
...
साथ के लिए जरुरी नहीं साथ टहलना ...क्या बात !
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावनात्मक रचना | बधाई
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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कहीं गहरे उतर गयी पंक्तियाँ......
जवाब देंहटाएं~सादर!!!
bhaavpoorn abhivyakti...
जवाब देंहटाएंगहन अनुभूति
जवाब देंहटाएंसुंदर
बधाई
स्पष्ट शब्दों में खूब कहा.... बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंसाथ के लिये जरूरी नहीं
जवाब देंहटाएंचांद तारों का आसमान की धरती पर साथ साथ टहलना
बहुत सुंदर ! वाकई सामीप्य के लिये साथ होना बिलकुल भी ज़रूरी नहीं ! गहन अभिव्यक्ति !
क्या बात है...
जवाब देंहटाएंसाथ के लिये
जवाब देंहटाएंजरूरी नहीं
चांद तारों का आसमान की
धरती पर साथ साथ टहलना
सुंदर पंक्तियाँ ..सादर बधाई के साथ ..मेरे ब्लॉग पर भी आपका आगमन बहुप्रतीक्षित है ..सादर
कभी कभी हम खुद नहीं जानते पर कड़ी से कड़ी मिलती चली जाती है ...
जवाब देंहटाएंतुम्हारे लेखन के तो हम शुरू से ही कायल है