मेरी माँ नहीं जानती क्या होता है मदर्स डे
क्योंकि
वो तो हर पल हर दिन है
सिर्फ़ और सिर्फ़
अपने बच्चों की माँ
क्या जाने नयी संस्कृति के नए चलन
उसने तो जाना सिर्फ़ हर दिन हर पल
अपने बच्चों के लिए जीना
अपने बच्चों के मुख पर मुस्कान देखने को
अपना सब कुछ कुर्बान करना
अपने बच्चों के मुख पर दुख की स्याही देख
खुद दुखी हो जाना
वो क्या जाने क्या होता है मदर्स डे
उसने तो जाना है सिर्फ़ इतना
बच्चों से ही है जीवन उसका
फिर कैसे उसे विश करूँ
जो है जीती हर पल हर दिन मेरे लिए
गर पूछ बैठी
क्या सिर्फ़ आज के दिन ही हूँ मैं तेरी माँ
तो क्या जवाब दूँगी
इसलिये नहीं चाहती उसे और उसकी तपस्या और स्नेह को
सिर्फ़ एक दिन में ही समेटना
और चुप रह करती हूँ मन ही मन वन्दन अभिनन्दन उसका
क्योंकि
मेरी माँ नहीं जानती क्या होता है मदर्स डे
यही सच है } माँ का ३६५ दिन है ,एक दिन नहीं !बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंबेटी बन गई बहू
जिसने बस देना ही सीखा हो उसके लिए किसी एक दिन कुछ भी लेना ... चाहे दिवस ही क्यों न हो ... माँ के नाम तो हर दिन भी कम हैं ...
जवाब देंहटाएंमाँ को समर्पित बहुत सुन्दर शब्द गढे हैँ आपने आदरणीय वन्दना जी
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक रचना है वंदना जी मेरे विचार से मदर्स डे या कोई भी अन्य दिवस, कम से कम रिश्तों के लिए तो नहीं मनाया जाना चाहिए. जिन रिश्तों को हम पल-पल क्षण-क्षण जीते हैं उनके लिए कोई दिवस निर्धारित करना उस रिश्ते की सीमा निर्धारित करने के सामान है।और माँ का ऋण चुकाने लिए तो दस जन्म भी कम हैं फिर एक दिन मातृ वंदना से क्या होग। आपकी रचना से पूरा इत्तफ़ाक़ रखता हूँ.. सफल और सार्थक लेखन के लिए बधाई.
जवाब देंहटाएंऔर हाँ आपकी पुस्तक का प्रकाशन हुआ है आज ज्ञात हुअ। उसके लिए भी बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें।
वाह ! मातृ दिवस पर सुंदर रचना, बधाई !
जवाब देंहटाएंसच है , हमारी माएं नहीं जानती मदर्स डे, वे हर दिन हमारे लिए हैं .
जवाब देंहटाएंमाँ को नमन !
सच ही है ......हर दिन माँ का है
जवाब देंहटाएंजिनकी मा जीवित हैं उनके तो साल में 365 Mother's day होते हैं ।
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