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शुक्रवार, 23 अक्टूबर 2015

बस , कलम तू उनकी जय जय बोल

जिनके नहीं कोई दीन ईमान 
कलम तू उनकी जय जय बोल

जो तू उल्टी चाल चलेगी
तेरी न यहाँ दाल गलेगी
प्रतिरोध की बयार में प्यारी
तेरी ही गर्दन पे तलवार चलेगी
बस , कलम तू उनकी जय जय बोल

जो तू सम्मान वापस करेगी
तब भी तेरी ही अस्मत लुटेगी
प्रतिरोध की ये फांस भी
न उनके गले से नीचे उतरेगी
कलम तू उनकी जय जय बोल

इस पासे न उस पासे
तुझे चैन लेने देगी
ये धार्मिक अंधी कट्टरता
राजनीति का पहन कर चश्मा
तेरा ही विरोध करेगी
कलम तू उनकी जय जय बोल

तेरे स्वाभिमान की तो यहाँ
ऐसे ही धज्जियाँ उडेंगी
गर कर सके समझौता उनसे
तभी तू जीवित रह सकेगी
बस , कलम तू उनकी जय जय बोल 


( रामधारी सिंह दिनकर की पंक्ति साभार : कलम , आज उनकी जय बोल )

4 टिप्‍पणियां:

  1. सच में निरंतर पतन पर है राजनीति ...

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (24-10-2015) को "क्या रावण सचमुच मे मर गया" (चर्चा अंक-2139) (चर्चा अंक-2136) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. कलम तू उनकी जय जय बोल
    ....बहुत सटीक सामयिक प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहतरीन प्रस्तुति, आभार आपका।

    जवाब देंहटाएं

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