चलिए देशभक्ति शब्द को फांसी दे दें
या कर दें बनवासी
और देशद्रोह शब्द को आदर सम्मान दे दें
शायद आज इन शब्दों की बस इतनी सी है पहचान
वो और वक्त था
जब देशभक्ति एक जज़्बा हुआ करता था
ये और वक्त है
जब देशद्रोह एक जज़्बा हुआ करता है
फूट डालो और शासन करो
की कभी बिसात बिछायी जाती थी
क्या ऐसा नहीं लगता
एक बार फिर वो ही चक्रव्यूह रचा गया
देशद्रोह और देशभक्ति के मध्य खड़ा किया गया
क्या हुआ है
देश बदला या समय या सोच
जरा सोचिये
कुछ भी कहने या करने से पहले
उत्तर तुम स्वयं जानते हो
फिर भी
अपने ही देश को धिक्कारते हो
न ,न , नहीं कहूँगी कुछ भी तुम्हें
न देशभक्त न देशद्रोही
बस तुम खुद का खुद आकलन कर लेना
देशभक्ति और देशद्रोह शब्दों की
थोड़ी व्याख्या कर लेना
अंतर जब समझ जाओ
देश के प्रति कुछ नतमस्तक हो लेना
मेरा देश तुम्हें माफ़ कर देगा ...........जानती हूँ बहुत सहिष्णु है ये
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार 18 फरवरी 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंकौन समझेगा , सिर्फ शब्दों की बाजीगरी होगी और निकृष्ट राजनीति। जो सामने दिखा क्या उसे झुठलाया जाएगा ... कौन जानता है । एक शशक्त रचना बधाई
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 18-02-2016 को वैकल्पिक चर्चा मंच पर दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद