ज़िन्दगी से एक युद्ध कर रहा हूँ
इंसान होकर इंसान से ही लड़ रहा हूँ
ये किस तूफां से गुजर रहा हूँ
जब नब्ज़ छूटती जा रही है
ज़िन्दगी फिसलती जा रही है
अब भूख से भी इश्क कर रहा हूँ
ज़िन्दगी से एक युद्ध कर रहा हूँ ...
काली रातों की भस्म मल रहा हूँ
उम्मीद के सर्द मौसम से डर रहा हूँ
चिलचिलाती धूप में भी नंगे पाँव चल रहा हूँ
हर गली कूचे शहर में सिर्फ मैं ही मर रहा हूँ
ज़िन्दगी से एक युद्ध कर रहा हूँ ...
वो देखो भूख से लड़ रहा है
ज़िन्दगी से बहस कर रहा है
ज़िन्दगी और भूख आमने सामने हैं
मगर न कोई जीत हार रहा है
ज़िन्दगी से एक युद्ध कर रहा हूँ ...
वक्त के अजीब पेचोखम हैं
किश्त-दर-किश्त ले रहा है
कल आज और कल के मनुज से
एक नया प्रश्न कर रहा है
ज़िन्दगी से एक युद्ध कर रहा हूँ ...
इसको विस्तार दो ।
जवाब देंहटाएंवर्ममान का मार्मिक चित्रण
जवाब देंहटाएंएक अज्ञात शत्रु ने मानवता को हतप्रभ कर दिया है, इस युद्ध में हर कोई अपनी-अपनी जगह एक युद्ध में रत है
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी का युद्ध तो उसी दिन से शुरू हो जाता है जबकि ज़िन्दगी जन्म लेती है।
जवाब देंहटाएंजीवन एक संघर्ष है और हर दिन एक युद्ध है l
जवाब देंहटाएंhttps://yourszindgi.blogspot.com/2020/04/blog-post_29.html?m=0
युद्ध न करे तो क्या करे ... जीने की जिजीविषा इंसान को मजबूर करती है इस लड़ाई के लिए ... सतत है ये संघर्ष ...
जवाब देंहटाएंज़िंदगी अपने आप में ही एक युद्ध है दोस्त जी। बढ़िया
जवाब देंहटाएंजिंदगी हर कदम एक नई जंग है ,बहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार २२ मई २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत सुंदर लिखें है आप
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना वंदन जी👌👌👌
जवाब देंहटाएंहर कोई युद्ध लड़ रहा है .
Send Valentines Day Roses Online
जवाब देंहटाएंSend Valentines Day Gifts Online
Send Teddy Day Gifts Online