पेज

गुरुवार, 3 जुलाई 2008

इंतज़ार खुशियों का

हर सुबह इंतज़ार रहता है एक खुशी का
जब भी उठते हैं एक अनदेखी खुशी को
पाने की चाहत में इंतज़ार करते हैं
सपनो का बुनना शुरू करते हैं
ख्वाबों में जीना शुरू करते हैं
ख्यालों में पाने की तमन्ना होती है
दिल इसी अहसास में खुश रहता है
मगर,
जब शाम आती है ,
हर उम्मीद नाउम्मीदी में तब्दील होने लगती है
ख्वाब टूटना शुरू हो जाते हैं
सपने बिखरने लगते हैं
और दिल को यह समझाने लगते हैं
ऐसा भी होता है ------ऐसा भी होता है
रात होते होते एक बार फिर
एक नई सुबह का फिर से इंतज़ार करते हैं
फिर से नए ख्वाब बुनने के लिए
सपनो को पूरा करने के लिए
कुच्छ इस तरह
एक नई सुबह के इंतज़ार में
एक अनदेखी खुशी के इंतज़ार में
हम जिंदगी गुजार देते हैं

1 टिप्पणी:

अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया