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सोमवार, 14 जुलाई 2008

टूटा दिल

जब ख्वाब टूटता है तब नया ख्वाब बुनते हैं हम
जब अरमान टूटते हैं तब नए अरमान जागने लगते हैं
जब उम्मीद टूटती है तब नई उम्मीद फिर जगती है
हर बार कुच्छ न कुच्छ खोकर भी
कुच्छ न कुच्छ पाने की आशा जनमती है
मगर
जब दिल टूटता है तब ..................
न उम्मीद बचती है
न ख्वाब सजते हैं
न उम्मीद बंधती है
क्यूँकी
दिल के टूटने पर
नया दिल कहाँ से लायें ?
एक दिल लिए फिरते हैं हम
वो भी कब टूट जाता है
पता ही नही चलता

1 टिप्पणी:

अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया