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शुक्रवार, 14 नवंबर 2008

खोज

मन की सुनसान राहों पर
कुछ खोजना चाहते हैं
किसी को पाना चाहते हैं

मगर

क्या यह डगर इतनी आसां हैं
क्या वो हमें मिलेगा
जिसे हम खोजने चले हैं

काश
इतना आसां होता ?

अपने अस्तित्व को मिटा कर
किसी को खोजा जाता हैं

ख़ुद को मिटा कर ही
ख़ुद को पाया जाता हैं

4 टिप्‍पणियां:

अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया