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बुधवार, 29 अप्रैल 2009

वो तुम ही तो हो

प्रेम सुधा बरसाने वाली
मन को मेरे हरषाने वाली
ख्वाबों में झलक दिखाने वाली
प्राणप्रिया बन जाने वाली
जीवनाधार बन जाने वाली
रूह में बस जाने वाली
बदली सी छा जाने वाली
मेघों सी बरस जाने वाली
खुशबू से जीवन महकाने वाली
मुझे मुझसे चुराने वाली
जीवन की प्यास बुझाने वाली
होठों पर गीत बन ढल जाने वाली
जीवन को महकाने वाली
प्रिये ,
वो तुम ही तो हो
चित्त को मेरे चुराने वाली
मेरी जीवनसंगिनी बन जाने वाली
वो तुम ही तो हो

13 टिप्‍पणियां:

  1. प्रेम सुधा बरसाने वाली,
    मन का अति हर्षाने वाली,
    सपनों में छा जाने वाली,
    मेघा सी बरसाने वाली,
    जीवन को महकाने वाली,
    फूलों जैसी खुशबू वाली,
    तुम्हीं वन्दना, तुम्ही साधना।
    छन्दों को अब तुम्हीं बाँधना।

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  2. मनोभावो को सुन्दर शब्द दिए हैं।बधाई।

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  3. Vandana ,

    Aaj kal bahut ras bhari poems likh rahi ho bhai .. baarish ka mausam aane ka hai ji ....[ ha ha ]

    well. acha likha hai .. lekin ab thoda ruk ruk kar likho , itna jyaada likhongi to ekrasta aa jayengi writing me ..

    ok , take this advise as spirit ..

    god bless you ..
    regards
    vijay

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  4. इस कविता से तो एक अनूठी
    मनहर-सी महक आ रही है!

    इस कविता को पढ़कर
    ऐसा लग रहा है कि
    किसी गोरी का रूप
    निखरने लगा है,
    जिससे आकर्षित होकर
    किसी साजन का मन
    मचलने लगा है!

    इतनी मनभावन हिंदी रचना
    जिस चिट्ठे पर सजी हो,
    उस चिट्ठे का शीर्षक
    अँगरेज़ी में लिखा
    क्या अच्छा लगता है?

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  5. ravi ji
    main aapko kya kahun.......samajh nhi aata.
    hindi mein likhne ya english mein likhne se mansikta nhi badalti.doosri baat usse hum kisi ke bare mein andaza nhi laga sakte ki wo kya sochta hai hindi ke bare mein.
    kripaya hindi mein hi likhne se koi hindi premi nhi ho jata , yeh bhi samajhne ki koshish karein.

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  6. सुन्दर भाव लगे आपकी इस रचना के .

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  7. प्लास्टिक के फूल में
    सौंदर्य और महक
    दोनों को उत्पन्न किया जा सकता है,
    पर क्या वह सौंदर्य और महक
    हमारी आँखों और साँसों के साथ-साथ मन को
    नैसर्गिक सुख प्रदान कर सकते हैं?

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  8. saundarya-pradhaan bahut hi stareey rachna
    kalaa-paksh bahut hi uchit, saarthak aur
    prashansneey . . . .
    badhaaee

    ---MUFLIS---

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  9. बहुत खूब। प्रेमसुधा बरसाने वाली जीवन संगिनी के रूप में भी है, ये और भी प्रसन्‍नता की बात है।

    -----------
    TSALIIM
    SBAI

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