पेज

मंगलवार, 27 जुलाई 2010

बस वो ना बनाया ..........

मैं 
ख्वाब बनी 
हकीकत में ढली
नज़्म भी बनी

गीतों में ढली 
तेरे सांसों की 
सरगम पर 
सुरों की झंकार
भी बनी 
रूह का स्पंदन 
भी बनी
मौसम का खुमार 
भी बनी
सर्दी की गुनगुनी
धूप में ढली
कभी शबनम 
की बूंद बन
फूलों में पली
तेरे हर रंग में ढली 
वो सब कुछ बनी
जो तू ने बनाया
तूने सब कुछ बनाया
 मगर वो ना बनाया
जो तेरे अंतर्मन के
दीपक की बाती होगी
तेरे अरमानों की
थाती होती
तेरे हर ख्वाब की
ताबीर होती
तेरी हर धड़कन की
आवाज़ होती
तेरी रूह की पुकार होती
तेरी जान की जान होती
बस वो ना बनाया 
तूने कभी 
बस वो ना बनाया ..........

31 टिप्‍पणियां:

  1. bahut khoob vandana ji...ek badiya gazal....main ek baar fir kahta hoon gazal ko gazal ki tarah likhe....nazm ki tarah nahi.

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह !! दिल को छू लेने वाली भावनाएं... बहुत खूब ||

    जवाब देंहटाएं
  3. बसंत मे टुटे शाख के पत्तो सी रचना !

    जवाब देंहटाएं
  4. विकट दर्द छलका है तेरी...

    नज़्म है जो ये तुने कही...

    जिसकी खातिर बनी बहुत कुछ...

    उसकी फिर भी न हैं बनी...

    सुन्दर भाव...पर दर्द भरे...

    दीपक

    जवाब देंहटाएं
  5. आपकी यह प्रस्तुति कल २८-७-२०१० बुधवार को चर्चा मंच पर है....आपके सुझावों का इंतज़ार रहेगा ..


    http://charchamanch.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  6. bas eak pankti me jiwan ka pura dard samet diya! bahut sunder rachna.. dil ko choo gayee

    जवाब देंहटाएं
  7. बड़ी गहराई लेकर आती है आपकी लेखनी

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर भावनाएं ... खूबसूरत कविता !

    जवाब देंहटाएं
  9. वन्‍दना जी, बहुत ही सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति, दिल को छूते शब्‍द अनुपम ।

    जवाब देंहटाएं
  10. वो सब कुछ बनी
    जो तू ने बनाया
    तूने सब कुछ बनाया
    मगर वो ना बनाया
    बहुत दर्द है...इस कविता में....

    जवाब देंहटाएं
  11. हमेशा की तरह लाजवाब प्रस्तुती!

    जवाब देंहटाएं
  12. हमेशा की तरह आपकी कलम का जादू जगाती अद्भुत रचना...वाह...
    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  13. कविताओं में हर अगले दिन और भी पैनापन आता जा रहा है....

    जवाब देंहटाएं
  14. वंदना जी खूब लिखा आपने..अत्यन्त सुंदर रचना ..बधाई

    जवाब देंहटाएं
  15. दिल को छू लेने वाली भावनाएं...


    बहुत सुन्दर.....रूह से निकली सदाएं ....

    जवाब देंहटाएं
  16. वाह !! बहुत सुन्दर रचना । बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  17. वो मैं
    तुझको बनाता कैसे
    रूह अपनी दिखाता कैसे
    जो था वो तेरा ही तो था
    जिस्‍म तो मेरा था
    तेरी रूह को
    खुद से अलगाता कैसे ।

    जवाब देंहटाएं
  18. सब कुछ बन के भी अधूरे रह गए..
    सुंदर शब्दों में ढाला उन एहसासों को.

    जवाब देंहटाएं
  19. bahut hi achhi rachna...
    mann se nikli huyi aur mann me utarne wali rachna....

    जवाब देंहटाएं
  20. मैं
    ख्वाब बनी
    हकीकत में ढली
    नज़्म भी बनी
    गीतों में ढली
    तेरे सांसों की
    सरगम पर
    --
    रचना का आगाज और अंजाम बहुत बढ़िया लगा है!

    जवाब देंहटाएं

अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया