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मंगलवार, 17 अगस्त 2010

सावन कितना बरस ले ............

बरसते मौसम में 
भीगता तन 
मन को ना
भिगो पाया 
मन के आँगन 
की धरती 
तो कब की
सूखे की
भयावह मार से
फट चुकी है 
अब अहसासों 
की खेती ना
कर सकोगे
तमन्नाओं की
फसल ना 
उगा सकोगे
भाव ना कोई
जगा सकोगे
सावन कितना 
बरस ले 
कुछ आँगन
कभी नहीं 
भीगते 

25 टिप्‍पणियां:

  1. रिम-झिम सावन बरसता,मगर न भीगा अंग।
    सब आँगन नही भीगते, श्याम घटा के संग।।

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  2. वंदना जी...

    बेशक सावन न ला पाए...
    जीवन में वो बहार....
    भावों की फसलें भी होंगी...
    गर मन में हो प्यार...

    मन के आँगन की धरती भी...
    सरस पयार से भीग उठेगी .
    अपनेपन से उसे पुकारें...
    गाकर मेघ मल्हार....

    सुन्दर कविता...

    दीपक....

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  3. बहुत संज़ीदगी से लिखी रचना ...सच है मन का आँगन जब तक न भीगे तो कैसा सावन ..

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  4. पढ़ ली। सचमुच मन का आंगन नहीं भीगा।

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  5. पढ़ ली। सचमुच मन का आंगन नहीं भीगा। पता नहीं मन की गड़बड़ है या सावन की।

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  6. सावन कितना
    बरस ले
    कुछ आँगन
    कभी नहीं
    भीगते
    कविता मन से संबंधित कड़वे सच को बयान करती है।

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  7. अखियाँ भीगी
    मन भीगा
    तन न भीगा हाय
    सावन जब तुम आये ......!!

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  8. रिम झिम गिरे सावन
    सुलग सुलग जाए मन
    भीगे आज इस मौसम में
    लगी कैसी ये अगन !


    वंदना जी
    बहुत ख़ूब !
    सावन कितना बरस ले
    कुछ आंगन कभी नहीं भीगते … !


    शस्वरं पर सदैव आपका हार्दिक स्वागत है , आइए और आते रहिए …

    - राजेन्द्र स्वर्णकार
    शस्वरं

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  9. यहाँ भी आपने काफी सुन्दर प्रतीक इस्तेमाल किये.. बधाई एक और अच्छी कविता के सृजन के लिए..

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  10. शायद इसी लिया कहते हैं मन सूना नही होना चाहिए ... अच्छी रचना है ...

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  11. सचमुच
    कुछ आँगन
    किसी सावन में भी
    नहीं भीग पाते वन्दना जी!!!
    प्यारा अहसास है.....

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  12. सचमुच
    कुछ आँगन
    किसी सावन में भी
    नहीं भीग पाते वन्दना जी!!!
    प्यारा अहसास है.....

    जवाब देंहटाएं
  13. सचमुच
    कुछ आँगन
    किसी सावन में भी
    नहीं भीग पाते वन्दना जी!!!
    प्यारा अहसास है.....khushi

    जवाब देंहटाएं
  14. सचमुच
    कुछ आँगन
    किसी सावन में भी
    नहीं भीग पाते वन्दना जी!!!
    प्यारा अहसास है.....khushi

    जवाब देंहटाएं
  15. सचमुच
    कुछ आँगन
    किसी सावन में भी
    नहीं भीग पाते वन्दना जी!!!
    प्यारा अहसास है.....

    जवाब देंहटाएं
  16. मन है धरती
    भावनाएं फसल
    कैसे शब्दों से
    कर दी आपने
    उलझी हुई बात सरल

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  17. भावों की बरसात में कुछ हृदय रुक्ष रह जाते हैं।

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  18. सुंदर प्रस्तुति!

    हिन्दी हमारे देश और भाषा की प्रभावशाली विरासत है।

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  19. खूबसूरत भाव.....सही कहा है कई बार सावन में कुछ आंगन सुखे रह जाते हैं...

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  20. वंदना जे सावन का यह गीत बहुत सारगर्भित और गंभीर बन पड़ा है.. सावन जो मन को ना भिगो दे. वो कैसा सावन... मन की धरती बहुतिक बूंदों से कहा भीगती है... सुंदर गीत !

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  21. सावन कितना
    बरस ले
    कुछ आँगन
    कभी नहीं
    भीगते ...gahri vedna liye achhi rachna.....

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  22. bhut sundar prastuti hai

    kuch aangan nahi bhigate

    such kaha aapane

    kuch aangan nahi bhigate
    kuch aangan nahi khilate
    kuch aangan yuu hote banzar
    un me gam ke phool bhi nahi khilate

    जवाब देंहटाएं

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