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गुरुवार, 16 सितंबर 2010

गर होती कोई कशिश हम में

किसी के 
ख्वाबों में 
पले होते
किसी के 
दिल की 
धडकनों की
आवाज़ होते
किसी के
सुरों की
सरगम होते
किसी के 
छंदों का
अलंकार होते
किसी के
दिल के
उदगार होते
किसी के लिए
ऊषा की
पहली किरण होते
किसी के 
अरमानों में
सांझ की 
दुल्हन से 
सजे होते
किसी के 
गीतों में
प्यार बन
ढले होते
किसी कवि की
कल्पना होते
मगर यूं ना
ठुकराए जाते 
गर होती 
कोई कशिश 
हम में

24 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर....गर होती कोई कशिश हममें तो यूं न ठुकराए गए होते

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  2. kashish hai tabhi to her koi nahin apna sakta.... kashish hai tabhi to khyaalon ka purzor saath hai

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  3. हीरे की परख जौहरी कर्ता है ...अपनी कशिश का तुमको क्या पता ?
    :):)

    बहुत सुन्दर रचना लिखी है ..

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  4. उपयोगी पोस्ट!
    जी हाँ,
    कशिश या आकर्षण तो बहुत जरूरी है इस चमक-दमक की दुनिया में!
    --
    आज दो दिन बाद नेट पर आ पाया हूँ!
    --
    शाम तक सभी के ब्लॉग पर
    हाजिरी लगाने का इरादा है!

    जवाब देंहटाएं
  5. हमेशा की तरह...अप्रतिम रचना...बधाई
    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  6. बात सिर्फ कशिश या आकर्षण की नहीं है.आकर्षण सिर्फ रूप का नहीं होता बल्कि सम्पूर्ण व्यक्तित्व का होता है.
    मुझे लगता है वंदना जी यहाँ आप सिर्फ यही कहना चाहती हैं कि ''तुम ने मेरा सिर्फ बाहरी रूप रंग को देखा मेरे असली आकर्षण यानि व्यक्तित्व के आकर्षण को तुमने महसूस ही नहीं किया;अगर करते तो शायद मेरे अंतर्मन की भावनाओं को समझते''.
    एक बेहतरीन प्रस्तुती के लिए आभार.

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  7. "किसी के छंदों का अलंकार होते"
    यह बिम्ब बहुत अच्छा लगा। पूरी कविता भी।

    बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।

    अलाउद्दीन के शासनकाल में सस्‍ता भारत-१, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें

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  8. बहुत सुन्दर रचना ....एक कसक नज़र आती है
    समय निकल कर ये दोनों ब्लॉग भी देखिएगा ...
    कह ना सकेंगा
    अनुष्का

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  9. bahut khub...
    mujhe to bahut achhi lagi rachna....

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  10. आप की रचना 17 सितम्बर, शुक्रवार के चर्चा मंच के लिए ली जा रही है, कृप्या नीचे दिए लिंक पर आ कर अपनी टिप्पणियाँ और सुझाव देकर हमें अनुगृहीत करें.
    http://charchamanch.blogspot.com


    आभार

    अनामिका

    pls. apna locking system hata le.

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  11. चंद शब्दों में व्यक्त की गई..... सुन्दर अभिव्यक्ति !!

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  12. बहुत सुन्दर कविता| भावों का सीधा सम्प्रेषण..पर ये "होते" वाली बात गलत है..आप "हैं"|
    बहुत बहुत शुभकामनाएं|
    ब्रह्माण्ड

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  13. बहुत सुंदर रचना वन्दना जी, कशिश भी जरूरी है !

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  14. बहुत ही सुंदर रचना वंदना जी बधाई !

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  15. हल्के से अवसाद से भरे मानव की क्षणिक भावनाओं को अच्छी अभिव्यक्ति दी है आपने।

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  16. बहुत प्यारी और सुन्दर रचना.

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  17. बेहतरीन प्रस्तुती के लिए आभार.

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अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया