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बुधवार, 23 नवंबर 2011

हर अमावस दिवाली का संकेत नहीं होती ..........


हैलो ....हाउ आर यू
जब कोई पूछता है
दिल पर एक घूँसा सा लगता है
ना जाने कितनी उधेड्बुनो
और परेशानियों से घिरे हम 
हँस कर जवाब देते हैं 
फाईन .........
क्या सच में फाइन होते हैं 
सामने वाला तो जान ही नहीं पाता
फाइन कहते वक्त भी
एक अजीब सी मनः स्थिति से
गुजरते हम 
पता नहीं उसे या खुद को 
भ्रम दिए जाते हैं 
हम सपनो की दुनिया में जीने वाले
कब हकीकत से नज़र चुराने लगते हैं
कब खुद को भ्रमजाल में उलझाने लगते हैं
कब खुद से भागने लगते हैं 
पता ही नहीं चलता
या शायद पता होता भी है
पर खुद को भरमाने के लिए भी तो
एक बहाना जरूरी होता है ना
अब क्या जरूरी है ........अपने साथ
दूसरे को भी दुखी किया जाए
या अपने गम हर किसी के साथ बांटे जायें
क्यूँकि ..........पता है ना
ये ऐसी चीज नहीं जो बाँटने से बढ़ जाये 
फिर क्या रहा औचित्य 
फाइन कहने का
क्या कह देने भर से 
सब फाइन हो जाता है क्या?
हर अमावस दिवाली का संकेत नहीं होती ..........

34 टिप्‍पणियां:

  1. मज़बूरी ही स्वीकार करने में लोग ठीक समझते हैं ... दिल को कौन देखता है

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  2. सबके अपने गहरे गढ्ढे हैं पर उससे परे भी कितनी जमीन पड़ी है, दौड़ लगाने के लिये।

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  3. दिल की बाते दिल ही जाने
    जिस तन लागे वही दर्द पहचाने ...

    बहुत खूब लिखा ...अच्छा विषय चुना है आपने लिखें के लिए

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  4. नहीं ...फाइन कह देने भर से फाइन तो नहीं हो जाता सब.पर फाइन हो जायेगा ये आशा तो हो ही जाती है.कहते हैं न ..शुभ शुभ बोलना चाहिए.
    सुन्दर कविता.

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  5. कुछ अलग सा.....फाइन कहने से ही सब कुछ फाइन नहीं हो जाता |

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  6. फाइन कह देने भर से सबकुछ फाइन हो जाता है क्‍या ??
    सही अभिव्‍यक्ति !!

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  7. बहुत खूब...बहुत अच्छी प्रस्तुति...

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  8. बहुत खूब...बहुत अच्छी प्रस्तुति...

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  9. बहुत खूब...बहुत अच्छी प्रस्तुति...

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  10. कैसे हो.... की प्रतिवर्ती क्रिया है ठीक है... भले ही ठीक न हों न जाने कितने मुखौटे ओढने पड़ते है दर्द छिपाने के लिए मगर दर्द है की चिपटा कहा है . बेहतरीन काव्य के लिए बधाई

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  11. how are you is a greeting, not a question... therefore we answer 'fine' even if nothing is fine!

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  12. बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||

    बधाई ||

    dcgpthravikar.blogspot.com

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  13. बहुत सुन्दर अभिव्‍यक्ति !!....

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  14. फाइन कहने से दोनों खुश और बात वहीँ ख़त्म हो जाती है ।

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  15. vandnajee
    achhee lagee kavitaa,
    har amaavas deepawali ka sandesh nahee detee
    par deepaawalee amavas ko bhee jagmagaa detee

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  16. बहुत खूब ! अच्छा लिखा है आपने । अच्छी प्रस्तुति ।

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  17. बिल्कुल सही अभिव्यक्ति वंदना जी।धन्यवाद।

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  18. हर रात के बाद सुबह जरूर आती है....
    उम्‍मीदों का दामन कभी नहीं छोडना चाहिए....
    बहरहाल, सुंदर रचना। गहरे भाव।

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  19. हैलो ....हाउ आर यू
    जब कोई पूछता है
    दिल पर एक घूँसा सा लगता है
    ना जाने कितनी उधेड्बुनो
    और परेशानियों से घिरे हम
    हँस कर जवाब देते हैं
    फाईन .........

    सबकी ही स्थिति लिख दी है .. अच्छी प्रस्तुति

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  20. सच्चा चिंतन.... सुन्दर रचना....
    सादर....

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  21. बिलकुल अपनी सी बात कहती कविता।

    सादर

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  22. सच है ई हर किसी का दर्द होता है पर फिर भी कोपी पूछे तो यही कहना पढता है .... फाइन ...

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  23. आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें
    चर्चा मंच-708:चर्चाकार-दिलबाग विर्क

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  24. क्या किया जाय ,यही शिष्टाचार बन गया है आज का !

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  25. हैलो, आई ऍम फाइन, वंदना जी.
    हाउ आर यू ?

    समय हमेशा एकसा रहता नही.
    अमावस के बाद दिवाली भी तो आती है.
    कहा सुना माफ कीजियेगा जी
    बस अब जरा मुस्कुराइए दीजिये जी.

    आपके फोटो में आपकी मुस्कराहट बहुत अच्छी लगती है.
    आप कुछ भी कहें मुझे तो सच्ची सच्ची लगती है.

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  26. ये तो आपने मेरे दिल की बात कह दी ।

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अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया