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शुक्रवार, 25 नवंबर 2011

यूँ ही नहीं कोई मौत के कुएं में सिर पर कफ़न बाँधे उतरता है

दोस्तों
 ओपन बुक्स ऑनलाइन द्वारा आयोजित प्रतियोगिता " चित्र से काव्य तक" में मेरी इस कविता को द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ है जिसका लिंक निम्न है जहाँ तीनो विजेताओं की रचनायें लगी हैं .........http://openbooksonline.com/group/pop/forum/topic/show?id=5170231%3ATopic%3A169440&xg_source=मशग





यूँ ही नहीं कोई मौत के कुएं में सिर पर कफ़न बाँधे उतरता है



ये रोज पैंतरे बदलती ज़िन्दगी
कभी मौत के गले लगती ज़िन्दगी
हर पल करवट बदलती है
कभी साँझ की दस्तक
तो कभी सुबह की ओस सी
कभी जेठ की दोपहरी सी तपती
तो कभी सावन की फुहारों सी पड़ती
ना जाने कितने रंग दिखाती है
और हम रोज इसके हाथों में
कठपुतली बन 
एक नयी जंग के लिए तैयार होते 
संभावनाओं की खेती उपजाते
एक नए द्रव्य का परिमाण तय करते
उम्मीदों के बीजों को बोते 
ज़िन्दगी से लड़ने को 
और हर बाजी जीतने को कटिबद्ध होते
कोशिश करते हैं 
ज़िन्दगी को चुनौती देने की
ये जानते हुए कि 
अगला पल आएगा भी या नहीं
हम सभी मौत के कुएं में 
धीमे -धीमे रफ़्तार पकड़ते हुए 
कब दौड़ने लगते हैं 
एक अंधे सफ़र की ओर
पता भी नहीं चलता
मगर मौत कब जीती है
और ज़िन्दगी कब हारी है
ये जंग तो हर युग में जारी है
फिर चाहे मौत के कुएं में
कोई कितनी भी रफ़्तार से
मोटर साइकिल चला ले
खतरों से खेलना और मौत से जीतना
ज़िन्दगी को बखूबी आ ही जाता है
इंसान जीने का ढंग सीख ही जाता है
तब मौत भी उसकी जीत पर
मुस्काती है , हाथ मिलाती है
जीने के जज्बे को सलाम ठोकती है 
जब उसका भी स्वागत कोई
ज़िन्दगी से बढ़कर करता है
ना ज़िन्दगी से डरता है
ना मौत को रुसवा करता है 
हाँ , ये जज्बा तो सिर्फ 
किसी कर्मठ में ही बसता है 
तब मौत को भी अपने होने पर
फक्र होता है ..........
हाँ , आज किसी जांबाज़ से मिली 
जिसने ना केवल ज़िन्दगी को भरपूर जिया
बल्कि मौत का भी उसी जोशीले अंदाज़ से
स्वागत किया
समान तुला में दोनों को तोला 
 मगर
कभी ना गिला - शिकवा किया 
जानता है वो इस हकीकत को 
यूँ ही नहीं कोई मौत के कुएं में
सिर पर कफ़न बाँधे उतरता है
क्यूँकि तैराक ही सागर पार किया करते हैं 

जो ज़िन्दगी और मौत दोनो से
हँसकर गले मिलते हैं

30 टिप्‍पणियां:

  1. जो जिंदगी और मौत दोनों से,

    हंसकर गले मिलते हैं ...

    बेहद सशक्‍त भावों को व्‍यक्‍त के साथ बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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  2. bahut sundar rachna hai, gahan aur gambheer....badhaii Vandana ji.

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  3. प्रतियोगिता में विजयी होने के लिए बधाई!
    चित्र के अनुरूप भाव सुन्दरता से व्यक्त हुए हैं!

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  4. इंसान जीने का ढंग सीख ही जाता है तब मौत भी उसकी जीत पर मुस्काती है , हाथ मिलाती है जीने के जज्बे को सलाम ठोकती है जब उसका भी स्वागत कोई ज़िन्दगी से बढ़कर करता है ना ज़िन्दगी से डरता है ना मौत को रुसवा करता है हाँ , ये जज्बा तो सिर्फ किसी कर्मठ में ही बसता है तब मौत को भी अपने होने पर फक्र होता है ..........



    बहुत बहुत बधाई वंदना जी.

    आप विचारों और भावों को सुंदरता से प्रस्तुत
    करतीं है.

    सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.

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  5. badhaai...aap deserve karti hain ... kitni shaandaar rachna hai , waakai



    यूँ ही नहीं कोई मौत के कुएं में सिर पर कफ़न बाँधे उतरता है

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  6. सुन्दर रचना वाकई पुरूस्कार पाने की हक़दार है आप बधाई

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  7. इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी की जा रही है!
    यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।

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  8. गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ बहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने जो सराहनीय है!

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  9. जिन्‍दगी है तभी मौत आएगी।
    *
    प्रतियोगिता के कुएं में कविता की मोटर साइकिल चलाने के लिए बधाई।

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  10. वाह...बेजोड़ रचना...बधाई स्वीकारें.

    नीरज

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  11. प्रतियोगिता में विजयी होने की बहुत बधाई वंदना जी! निसंदेह उत्तम भावों की रचना है.

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  12. जिंदगी जीने कि कला को अभिव्यक्त करती रचना .
    ..वैसे इंसान में ये खूबी भरपूर है वो हर परिस्थिति मैं स्वयं को ढाल सकता है ...अच्छी प्रस्तुति बधाई

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  13. सचमुच यह पुरस्कृत होने योग्य रचना है।

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  14. आदरणीय वंदना जी...
    इस पुरस्कृत रचना को यहाँ फिर से पढ़ना उतना ही अच्छा लगा...
    सादर बधाई...

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  15. कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी। बहुत सुन्दर कविता।

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  16. आदरणीया वंदना जी
    नमस्कार !

    आपकी रचना तो है ही पुरस्कृत होने लायक …
    सुंदर और प्रेरक कविता के लिए साधुवाद !

    बधाई और मंगलकामनाओं सहित…
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  17. बेहतरीन संदेश देती सुंदर रचना।
    बधाई हो आपको।

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  18. बहुत सुंदर रचना । बधाई स्वीकारें ।

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  19. vandana ji..aapki yah gahan kriti hausla deti hai..behtarin andaj ki ek shashakt rachna ..sadar badhayee aaur amantran ke sath

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अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया