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मंगलवार, 13 जनवरी 2009

प्यार होता है क्या

मुझे नही पता
प्यार होता है क्या
कभी किसी की
आंखों में ख्वाब
बन के पले ही नही
तो क्या जानूं
प्यार होता है क्या
कभी कोई दीदार के लिए
तडपा ही नही
तो क्या जानूं
प्यार होता है क्या
कभी किसी ने दीवानावार
ख़त लिखे ही नही
तो कैसे जानूं
प्यार होता है क्या
कभी किसी के दिल में
धड़कन बनकर
धडके ही नही
तो कैसे जानूं
प्यार होता है क्या
कभी किसी के
अहसास ने छुआ
ही नही
तो कैसे जानूं
प्यार होता है क्या
कभी किसी ने
मन के आँगन में
प्यार के दीप
जलाये ही नही
तो कैसे जानूं
प्यार होता है क्या
कभी किसी ने
अपना खुदा
बनाया ही नही
तो कैसे जानूं
प्यार होता है क्या

11 टिप्‍पणियां:

  1. कभी किसी ने
    अपना खुदा
    बनाया ही नही
    तो कैसे जानूं
    प्यार होता है क्या

    बहुत ही उम्दा। लिखते रहिए।

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  2. बहुत गहरी रचना...प्यार के सारे एहसास बताती हुई...वाह...
    नीरज

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  3. "awesome" is the word for your poetry .. i m the regular reader .. keep writing

    जवाब देंहटाएं
  4. कभी किसी के
    अहसास ने छुआ
    ही नही.......
    सच कहा है सारी बातें सच हैं......
    प्यार के लिए ये सब बातें जरूरी हैं........
    इससे अच्छी प्यार की परिभाषा कोई नही.....
    आपने सारे पहलुओं को दर्शा दिया ..........


    अक्षय-मन

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  5. bahut khoob likha hai vandana ji ,
    makar sankrati ki shubhkamnayen .

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