आज सुबह से देखना क्या हो गया है ना मै मुझे मिलती हूँ और ना ही कोई ख्याल देखना ज़रा......... तुम्हारे पहलू मे तो आराम नही फ़रमा रहा ... kya baat hai , khoobsurat hansi kaundh gai aapki
अच्छा अगीत है , अच्छी भावाव्यक्ति व प्रस्तुति ...बधाई ... ---परन्तु मेरे विचार से यह वाक्य.. "रीते बर्तनों की आवाज़ें कौन सुनता है?"...अनावश्यक पैवंद सा लगता है...असंबद्ध ..
आपकी पोस्ट आज "ब्लोगर्स मीट वीकली" के मंच पर प्रस्तुत की गई है /आप आयें और अपने विचारों से हमें अवगत कराएँ /आप हमेशा ऐसे ही अच्छी और ज्ञान से भरपूर रचनाएँ लिखते रहें यही कामना है /आप ब्लोगर्स मीट वीकली (८)के मंच पर सादर आमंत्रित हैं /जरुर पधारें /
देखना जरा ---
जवाब देंहटाएंसो गया ??
फिर
किधर को गया??
खूबसूरत प्रस्तुति ||
बधाई वन्दना जी ||
बहुत सुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ! खुद से ही खुद को चुरा कर खोजने का मन करता है ! बहुत प्यारी रचना !
जवाब देंहटाएंआज सुबह से
जवाब देंहटाएंदेखना क्या हो गया है
ना मै मुझे मिलती हूँ और ना ही कोई ख्याल
देखना ज़रा......... तुम्हारे पहलू मे तो
आराम नही फ़रमा रहा ... kya baat hai , khoobsurat hansi kaundh gai aapki
वाह ...बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंवाह, बहुत मासूम सी इल्तजा है इस कविता में.. बहुत बहुत बधाई !
जवाब देंहटाएंसुंदर।
जवाब देंहटाएंबेजोड़...बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंनीरज
जाने कहाँ कहाँ दुबक जाता है मुआं ...
जवाब देंहटाएंक्या बात है बहुत सुन्दर रचना .
स्वयं को ही तलाशती सुन्दर अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंreete bartano kee aavaje echo karti hai...kalam haath me hai to bolegi bhi ...vaah ji vaah ..
जवाब देंहटाएंअच्छा अगीत है , अच्छी भावाव्यक्ति व प्रस्तुति ...बधाई ...
जवाब देंहटाएं---परन्तु मेरे विचार से यह वाक्य.. "रीते बर्तनों की आवाज़ें कौन सुनता है?"...अनावश्यक पैवंद सा लगता है...असंबद्ध ..
बहुत ही खुबसूरत रचना ......
जवाब देंहटाएंखूबसूरत प्रस्तुति ........
जवाब देंहटाएंखूबसूरत प्यारी रचना !
जवाब देंहटाएंnice one
जवाब देंहटाएंरीते बर्तन शोर भी अधिक मचाते
हल्का से टकराने से भी जोर से गूंजते
बहुत सुंदर कोमल अहसास... बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब mam...
जवाब देंहटाएंरीते बर्तनों का शोर दुख देता है।
जवाब देंहटाएंये लो ...
जवाब देंहटाएंरीते बर्तन ही तो ज्यादा शोर मचाते हैं:)
बेहतरीन प्रस्तुती....
जवाब देंहटाएंशानदार......बेहतरीन............
जवाब देंहटाएंवक़्त मिले तो हमारे ब्लॉग पर भी आयें|
behad shandaar
जवाब देंहटाएंक्या बात है बहुत सुन्दर रचना .....
जवाब देंहटाएंवाह क्या खूब । अपने आप को खोजने के लिये भी तो गहरे पैठना होगा ।
जवाब देंहटाएंवह .. रीते बर्तनों की आवाज़ कौन सुनता है ... क्या बात कह डी आपने ...बहुत लाजवाब ..
जवाब देंहटाएंरीते बर्तनों की आवाज़ कौन सुनता है ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना.
wah bahut sunder gahan abhi byakti.bahut bahut badhaai aapko.
जवाब देंहटाएंकमाल ... अद्भुत!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब, बड़ी प्यारी कविता है
जवाब देंहटाएंgreat presentation Vandana ji , very appealing lines indeed.
जवाब देंहटाएंना मैं, ना कोई ख्याल ...बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट आज "ब्लोगर्स मीट वीकली" के मंच पर प्रस्तुत की गई है /आप आयें और अपने विचारों से हमें अवगत कराएँ /आप हमेशा ऐसे ही अच्छी और ज्ञान से भरपूर रचनाएँ लिखते रहें यही कामना है /आप ब्लोगर्स मीट वीकली (८)के मंच पर सादर आमंत्रित हैं /जरुर पधारें /
जवाब देंहटाएंये क्या कह रहीं हैं वंदना जी आप.
जवाब देंहटाएंमुआ सारा खज़ाना
चुराकर ले गया
कौन सा खजाना कौन चुरा ले गया जी ?