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गुरुवार, 15 सितंबर 2011

मैं चाँद को आँखों में उगाये रखता हूँ ............

मैं रोज तुम्हारी आँखों में
चाँद को उगते देखती हूँ
फिर चाहे रात अमावस
की ही क्यों ना हो
तुम कैसे दिन में भी
चाँद को आँखों में उतार लाते हो
कैसे अपनी शीतलता से
झुलसी हुई दोपहर को
पुचकारते हो
जानती हूँ दिन में भी
चाँद उगा होता है
फिर चाहे वो आसमाँ में हो
या तुम्हारे दिल में
मगर ये तो बताओ
कब तक तुम
सूरज की गर्मी से
खुद को झुलसाओगे
और हर आँगन को
चाँदनी में नहलाओगे
कब तक तुम
आँखों की नमी को
चाँद के दाग में छुपाओगे
आखिर कह क्यूँ नहीं देते
हाँ ..........जीता हूँ तुम्हारे लिए
दिन के उजालों में भी
और रात के अंधेरों में भी
गर्मी की झुलसती लूओं में भी
शीत की चुभती शीतलहर में भी
हर पल , हर लम्हा सिर्फ
तुम्हारी खातिर
तुम्हारी मुस्कान की खातिर
मैं चाँद को आँखों में उगाये रखता हूँ ............

27 टिप्‍पणियां:

  1. वंदना जी , इतनी प्यारी कविता है और शीर्षक तो आप एक से बढ़कर एक लाती हैं। अद्भुत !

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  2. hmm chand ko hamne aasman me ugte to dekha tha, aaj kaviyatri ke shabdo me usse ankho me ugta dekh liya:)

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  3. चाँद को आँखों मैं ही उगा दिया आपने वंदनाजी /बहुत ही अनोखे शब्द रचना के साथ लिखी अनूठी और बहुत ही अद्दभुत रचना/बहुत बधाई आपको /
    मेरी नई पोस्ट पैर आपका स्वागत है /





    www.prernaargal.blogspot.com

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  4. तपते सूरज में चाँद उगा,
    आशा का उन्माद उठा।

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  5. बहुत ही प्यारे भाव बढ़िया रचना प्रस्तुति....

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  6. Vandana ji
    sundar rachna ke liye badhai sweekaren.
    मेरी १०० वीं पोस्ट , पर आप सादर आमंत्रित हैं

    **************

    ब्लॉग पर यह मेरी १००वीं प्रविष्टि है / अच्छा या बुरा , पहला शतक ! आपकी टिप्पणियों ने मेरा लगातार मार्गदर्शन तथा उत्साहवर्धन किया है /अपनी अब तक की " काव्य यात्रा " पर आपसे बेबाक प्रतिक्रिया की अपेक्षा करता हूँ / यदि मेरे प्रयास में कोई त्रुटियाँ हैं,तो उनसे भी अवश्य अवगत कराएं , आपका हर फैसला शिरोधार्य होगा . साभार - एस . एन . शुक्ल

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  7. देखी रचना ताज़ी ताज़ी --
    भूल गया मैं कविताबाजी |

    चर्चा मंच बढाए हिम्मत-- -
    और जिता दे हारी बाजी |

    लेखक-कवि पाठक आलोचक
    आ जाओ अब राजी-राजी |

    क्षमा करें टिपियायें आकर
    छोड़-छाड़ अपनी नाराजी ||
    FRIDAY
    http://charchamanch.blogspot.com/

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  8. बहुत उम्दा स्रजन किया है आपने!
    यह रचना अपने आप मे बेजोड़ है!

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  9. वंदना जी आपका ब्लॉग खुलने में समय लेता है जबसे ट्वीटर लिंक दिया है , शायद ये मेरे स्लो कनेक्शन के कारण हो सकता , इस लिए आपके ब्लॉग पर आवाजाही कम हुयी खैर बेहतरीन काव्य पढने को मिला प्रफुल्लित हूँ बधाई

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  10. यही तो चांद है जो नज़रों में शीतलता प्रदान करता रहता है।

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  11. This is one of ur best poems... baar baar padha ar har baar taaza si lagi.. simply loved it.. :)

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  12. Vandana ji..ek nayi rachna post ki hai maine..naya hoon, agar aap mere blog per shamil hongi to acha lagega mujhe...dhanyawad..

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  13. हर पल , हर लम्हा सिर्फ
    तुम्हारी खातिर
    तुम्हारी मुस्कान की खातिर
    मैं चाँद को आँखों में उगाये रखता हूँ .....

    बहुत सुन्दर ...पढते हुए चाँद नज़र आ रहा था :)

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  14. सूरज की गर्मी से खुद को झुलसते चाँद की शीतलता बिखेरते तुम ...
    कब तक सत्य ना कहोगे !
    बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति !

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  15. बहुत प्यारी सी कविता..हो सके तो दोपहर को ठीक कर लें, बधाई!

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  16. 'मैं चाँद को आँखों में उगाये रहता हूँ'
    ..............गज़ब की अभिव्यक्ति
    ..........आकुल भावों को बहुत प्रभावी बनाया है आपकी अनूठी शैली और सुन्दर शब्द चयन ने ..

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  17. वाह , बहुत सुन्दर कविता ||
    पढकर आनंद आ गया ||

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  18. आखिर कह क्यूँ नहीं देते
    हाँ ..........जीता हूँ तुम्हारे लिए
    दिन के उजालों में भी
    और रात के अंधेरों में भी
    गर्मी की झुलसती लूओं में भी
    शीत की चुभती शीतलहर में भी
    हर पल , हर लम्हा सिर्फ
    तुम्हारी खातिर
    तुम्हारी मुस्कान की खातिर
    मैं चाँद को आँखों में उगाये रखता हूँ .


    बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना ! साधुवाद !

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  19. मनोभावों को बेहद खूबसूरती से पिरोया है आपने....

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  20. चंद की विवशता और महानता दोनों को ही बखूबी उकेरा है आपने बहुत सुंदर रचना.... आभार

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  21. शायद दोनों को अपना अपना काम करना है ... चाँद तो शीतल होगा ही ... पर जिसने सूरज उगाया है वो क्या करे ..

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  22. koi chaand ko
    aankhon mein ugaaye
    rakhtaa hai
    koi agnee se
    jhulsaataa hai
    alag alag tarah ke log aur
    unkee fitrat

    bahund sundar rachnaa,badhaayee

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  23. आप ब्लोगर्स मीट वीकली (९) के मंच पर पर पधारें /और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये/आप हमेशा अच्छी अच्छी रचनाएँ लिखतें रहें यही कामना है /
    आप ब्लोगर्स मीट वीकली के मंच पर सादर आमंत्रित हैं /

    जवाब देंहटाएं
  24. हर पल , हर लम्हा सिर्फ
    तुम्हारी खातिर
    तुम्हारी मुस्कान की खातिर
    मैं चाँद को आँखों में उगाये रखता हूँ ............

    वाह! बहुत सुन्दर प्रस्तुति.

    आपका भी कोई जबाब नहीं.

    जवाब देंहटाएं

अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया