हैलो ....हाउ आर यू
जब कोई पूछता है
दिल पर एक घूँसा सा लगता है
ना जाने कितनी उधेड्बुनो
और परेशानियों से घिरे हम
हँस कर जवाब देते हैं
फाईन .........
क्या सच में फाइन होते हैं
सामने वाला तो जान ही नहीं पाता
फाइन कहते वक्त भी
एक अजीब सी मनः स्थिति से
गुजरते हम
फाइन कहते वक्त भी
एक अजीब सी मनः स्थिति से
गुजरते हम
पता नहीं उसे या खुद को
भ्रम दिए जाते हैं
हम सपनो की दुनिया में जीने वाले
कब हकीकत से नज़र चुराने लगते हैं
कब खुद को भ्रमजाल में उलझाने लगते हैं
कब खुद से भागने लगते हैं
पता ही नहीं चलता
या शायद पता होता भी है
पर खुद को भरमाने के लिए भी तो
एक बहाना जरूरी होता है ना
अब क्या जरूरी है ........अपने साथ
दूसरे को भी दुखी किया जाए
या अपने गम हर किसी के साथ बांटे जायें
क्यूँकि ..........पता है ना
ये ऐसी चीज नहीं जो बाँटने से बढ़ जाये
फिर क्या रहा औचित्य
फाइन कहने का
क्या कह देने भर से
सब फाइन हो जाता है क्या?
हर अमावस दिवाली का संकेत नहीं होती ..........
मज़बूरी ही स्वीकार करने में लोग ठीक समझते हैं ... दिल को कौन देखता है
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत ही बढि़या ...।
जवाब देंहटाएंसबके अपने गहरे गढ्ढे हैं पर उससे परे भी कितनी जमीन पड़ी है, दौड़ लगाने के लिये।
जवाब देंहटाएंदिल की बाते दिल ही जाने
जवाब देंहटाएंजिस तन लागे वही दर्द पहचाने ...
बहुत खूब लिखा ...अच्छा विषय चुना है आपने लिखें के लिए
नहीं ...फाइन कह देने भर से फाइन तो नहीं हो जाता सब.पर फाइन हो जायेगा ये आशा तो हो ही जाती है.कहते हैं न ..शुभ शुभ बोलना चाहिए.
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता.
कुछ अलग सा.....फाइन कहने से ही सब कुछ फाइन नहीं हो जाता |
जवाब देंहटाएंachchhi rachna...
जवाब देंहटाएंफाइन कह देने भर से सबकुछ फाइन हो जाता है क्या ??
जवाब देंहटाएंसही अभिव्यक्ति !!
बहुत खूब...बहुत अच्छी प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...बहुत अच्छी प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...बहुत अच्छी प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंकैसे हो.... की प्रतिवर्ती क्रिया है ठीक है... भले ही ठीक न हों न जाने कितने मुखौटे ओढने पड़ते है दर्द छिपाने के लिए मगर दर्द है की चिपटा कहा है . बेहतरीन काव्य के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंhow are you is a greeting, not a question... therefore we answer 'fine' even if nothing is fine!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंबधाई ||
dcgpthravikar.blogspot.com
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !!....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंफाइन कहने से दोनों खुश और बात वहीँ ख़त्म हो जाती है ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अभिवयक्ति......
जवाब देंहटाएंvandnajee
जवाब देंहटाएंachhee lagee kavitaa,
har amaavas deepawali ka sandesh nahee detee
par deepaawalee amavas ko bhee jagmagaa detee
बहुत खूब ! अच्छा लिखा है आपने । अच्छी प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंशीर्षक को सार्थक करती सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही अभिव्यक्ति वंदना जी।धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंहर रात के बाद सुबह जरूर आती है....
जवाब देंहटाएंउम्मीदों का दामन कभी नहीं छोडना चाहिए....
बहरहाल, सुंदर रचना। गहरे भाव।
हैलो ....हाउ आर यू
जवाब देंहटाएंजब कोई पूछता है
दिल पर एक घूँसा सा लगता है
ना जाने कितनी उधेड्बुनो
और परेशानियों से घिरे हम
हँस कर जवाब देते हैं
फाईन .........
सबकी ही स्थिति लिख दी है .. अच्छी प्रस्तुति
सच्चा चिंतन.... सुन्दर रचना....
जवाब देंहटाएंसादर....
waise Vandana ji....
जवाब देंहटाएंHow are you? :-)
बिलकुल अपनी सी बात कहती कविता।
जवाब देंहटाएंसादर
सच है ई हर किसी का दर्द होता है पर फिर भी कोपी पूछे तो यही कहना पढता है .... फाइन ...
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
चर्चा मंच-708:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
yes i fine.:)bahut hi badhiya...
जवाब देंहटाएंक्या किया जाय ,यही शिष्टाचार बन गया है आज का !
जवाब देंहटाएंहैलो, आई ऍम फाइन, वंदना जी.
जवाब देंहटाएंहाउ आर यू ?
समय हमेशा एकसा रहता नही.
अमावस के बाद दिवाली भी तो आती है.
कहा सुना माफ कीजियेगा जी
बस अब जरा मुस्कुराइए दीजिये जी.
आपके फोटो में आपकी मुस्कराहट बहुत अच्छी लगती है.
आप कुछ भी कहें मुझे तो सच्ची सच्ची लगती है.
ये तो आपने मेरे दिल की बात कह दी ।
जवाब देंहटाएंlajabab...
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