रंगों के इंद्रधनुष बनते ही नहीं
फिर होली का सुरूर कैसे चढ़े
पिया सांवरे मदमाते ही नहीं
फिर गोरिया की होली कैसे मने
पिचकारी प्रेम की चलाते ही नहीं
फिर लाज का घूंघट कैसे हटे
कहो तो ……ओ फ़ागुन
हो हो हो होली कैसे मने
अबकी प्रीत परवान कैसे चढ़े
सजनिया कृष्ण बिन राधा कैसे बने
हो हो हो होली कैसे मने
कृष्ण रंग तू रंगी राधिका होली की क्या दरकार,
जवाब देंहटाएंतेरा जीवन खुद होली रंग राधिका की क्या तकरार
होली फ़िर से मुबारक हो दोस्त
होली कि तयारी रखिये ... प्रभु जरूर आयेंगे ...
जवाब देंहटाएंबधाई इस पर्व की ...
बिन कान्हा कैसे हो होली।
जवाब देंहटाएंवाह...सामयिक और सुन्दर पोस्ट.....आप को भी होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट@हास्यकविता/ जोरू का गुलाम
कान्हा जब तुम आ जाओ होली...होली की आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएं