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गुरुवार, 5 अगस्त 2010

विनाश के चिन्ह यादो की धरोहर बन जाते हैं

ये सीने में कैद
ज्वार- भाटे 
उफन कर
बाहर आने 
को आतुर
जब होते हैं 
अपने साथ
विनाश को भी 
दावत देते हैं
कहीं अरमानो के 
मकानों को 
धराशायी 
कर जाते हैं
कहीं हसरतों
के वृक्ष
उखड जाते हैं
तमन्नाओं की 
सुनामी में
सभी संचार 
के माध्यमो को
नेस्तनाबूद कर
विनाश पर 
अट्टहास करते हैं
और चहुँ ओर
फैली वीभत्स
नीरवता 
एक शून्य 
छोड़ जाती है
और विनाश 

के चिन्ह 
यादो की 
धरोहर 
बन जाते हैं
कभी ना 
मिटने के लिए

34 टिप्‍पणियां:

  1. सीने में कैद
    ज्वार- भाटे
    उफन कर
    जब बाहर आ
    जाते हैं तो
    एक नूतन रचना
    रच जाते हैं।
    दृष्टिकोण अपना-अपना!

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  2. अच्‍छा यही होगा कि उन्‍हें बाहर ही न आने दें। पी जाएं शिव की तरह गरल बनाकर।

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  3. विनाश में ही अंतर्भूत होता है सृजन और निर्माण. सृजन उत्तरार्द्ध है विनाश का. आपने बड़ी ही कुशलता से छिपा लिया है इस बात को और छोड़ दिया है पाठको के लिए . यह रचना कहीं से भी निराशावादी नहीं है. हाँ एक कलेवर जरुर ओढ़ रखा है इसने. अच्छी रचना कुछ चहकती हुई मनोभावों को द्रवित और पुनर्निर्माण के लिए प्रेरित करती रचना. यह उलटबांसियों की याद दिलाती है

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  4. विनाश में ही अंतर्भूत होता है सृजन और निर्माण. सृजन उत्तरार्द्ध है विनाश का. आपने बड़ी ही कुशलता से छिपा लिया है इस बात को और छोड़ दिया है पाठको के लिए . यह रचना कहीं से भी निराशावादी नहीं है. हाँ एक कलेवर जरुर ओढ़ रखा है इसने. अच्छी रचना कुछ चहकती हुई मनोभावों को द्रवित और पुनर्निर्माण के लिए प्रेरित करती रचना. यह उलटबांसियों की याद दिलाती है

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  5. ओह....क्या तमन्नाओं की सुनामी आई ...अरमानों के मकाँ और हसरतों के वृक्ष उखड गए ..यह यादों की धरोहर ...उफ़....क्या कहूँ ? सबको सीने में कैद ही रखिये ...ज्वार की तरह मत उफनने दीजिए भाटा अपने आप शांत कर देगा ....सुन्दर अभिव्यक्ति

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  6. विनाश
    के चिन्ह
    यादो की
    धरोहर
    बन जाते हैं
    कभी ना
    मिटने के लिए

    वाह क्या बात है !

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  7. bahut hi khub likha hai aapne...
    achhi rachna....

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  8. वंदना जी आपकी कविता का एक संपादित रूप प्रस्‍तुत है-

    सीने में कैद
    ज्वार- भाटे
    उफन कर
    जब बाहर आते हैं
    विनाश को भी
    साथ लाते हैं

    अरमान
    धराशायी
    कर जाते हैं
    हसरतों
    के पैर
    उखड जाते हैं

    तमन्नाओं की
    सुनामी
    तोड़कर तार बेतार
    विनाश पर
    अट्ठहास करती है

    फैलती
    नीरवता शून्य
    छोड़ जाती है

    विनाश
    के चिन्ह
    यादों की
    धरोहर
    बन जाते हैं

    जवाब देंहटाएं
  9. कहीं अरमानो के
    मकानों को
    धराशायी
    कर जाते हैं
    कहीं हसरतों
    के वृक्ष
    उखड जाते हैं!!
    कमाल कि अभिव्यक्ति! बहुत खूब! बेहतरीन!

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  10. विनाश में ही अंतर्भूत होता है सृजन और निर्माण. सृजन उत्तरार्द्ध है विनाश का. आपने बड़ी ही कुशलता से छिपा लिया है इस बात को और छोड़ दिया है पाठको के लिए . यह रचना कहीं से भी निराशावादी नहीं है. हाँ एक कलेवर जरुर ओढ़ रखा है इसने. अच्छी रचना कुछ चहकती हुई मनोभावों को द्रवित और पुनर्निर्माण के लिए प्रेरित करती रचना. यह उलटबांसियों की याद दिलाती है

    जवाब देंहटाएं
  11. विनाश में ही अंतर्भूत होता है सृजन और निर्माण. सृजन उत्तरार्द्ध है विनाश का. आपने बड़ी ही कुशलता से छिपा लिया है इस बात को और छोड़ दिया है पाठको के लिए . यह रचना कहीं से भी निराशावादी नहीं है. हाँ एक कलेवर जरुर ओढ़ रखा है इसने. अच्छी रचना कुछ चहकती हुई मनोभावों को द्रवित और पुनर्निर्माण के लिए प्रेरित करती रचना. यह उलटबांसियों की याद दिलाती है

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  12. "एक शून्य
    छोड़ जाती है
    और विनाश
    के चिन्ह
    यादो की
    धरोहर
    बन जाते हैं"
    बहुत गंभीर बात कह रही हैं आप इस कविता के माध्यम से . चाहे प्रकृति हो या आम जीवन, किसी विनाश से जो शुन्य बनता है वह स्मृति पटल पर बहुत गहरी स्मृति छोड़ जाता है.. आपकी पंक्तियों में गहरा दर्द भी झलक रहा है..

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  13. वंदना जी...

    मन के ज्वार उफनते जब हैं...
    सब कुछ मिटा हटा हैं देते...
    अरमानों के संग हसरतों...
    को भी दूर बहा हैं देते...

    सुन्दर भाव..

    दीपक...

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  14. मन के ज्वार भाटों की चित्रकारी है यह दुनिया।

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  15. ये सीने में कैद
    ज्वार- भाटे
    उफन कर
    बाहर आने
    को आतुर
    जब होते हैं
    अपने साथ
    विनाश को भी
    दावत देते हैं
    --

    बहुत ही मँजी हुई पोस्ट लिखी है!
    --
    एक-एक शबाद करीने से सजाया है आपने!

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  16. आज की चर्चा में कुछ खास है आपके लिए..

    आप की रचना 06 अगस्त, शुक्रवार के चर्चा मंच के लिए ली जा रही है, कृप्या नीचे दिए लिंक पर आ कर अपने सुझाव देकर हमें प्रोत्साहित करें.
    http://charchamanch.blogspot.com

    आभार

    अनामिका

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  17. एक मनको छूने वाली रचना |बधाई
    "कहीं हसरतों के वृक्ष -------करते हें "
    बहुत गहरा सोच है |
    आशा

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  18. विनाश के बाद ही सृजन और निर्माण की प्रक्रिया प्रारंभ होती है ... पर विनाश यादगार हो जाता है जीते जी स्मृति पटल पर अंकित रहता है ...बहुत सुन्दर रचना ....आभार

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  19. कविता सच उगल रही है ...ये ज्वार-भाटे सोडा वाटर की तरह उफन कर परिस्थितियों को बिगाड़ भी सकते हैं ...देखिये हर किसी ने अपने अपने तरीके से उठाया कविता को । आपके ब्लॉग का नाम बहुत अच्छा है , इसे पढ़कर मैंने एक कविता रची है ...जख्म जो फूलों ने दिए ...हाय सजा के बैठे थे , फूलदानों में ...अहसास भूलों ने दिए ..बाकी की कविता ब्लॉग पर प्रस्तुत करूंगी ...ये जख्म संवेदन शील रिश्तों के फूलों की मार के हैं । है न ?

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  20. ये सीने में कैद
    ज्वार- भाटे
    उफन कर
    बाहर आने
    को आतुर
    जब होते हैं
    अपने साथ
    विनाश को भी
    दावत देते हैं
    बहुत ही गहरी अभिव्यक्ति...इसीलिए जरूरी है की सीने में दबे तूफानों को..सही रास्ता दिखाया जाए कि वह विनाश नहीं...विकास का रास्ता प्रस्तर करे.

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  21. Vandana jee,sagar ya prakriti ka hi chota roop hai manushya.Sagar me uthe sunami kahar tosabhi dekhte hain,lekin uske sahare aapke dikhya gaya sunami to aap jaie samvedansheel log hi dekh pate,samajh pate hain.

    जवाब देंहटाएं
  22. Vandana jee,sagar ya prakriti ka hi chota roop hai manushya.Sagar me uthe sunami kahar tosabhi dekhte hain,lekin uske sahare aapke dikhya gaya sunami to aap jaie samvedansheel log hi dekh pate,samajh pate hain.

    जवाब देंहटाएं
  23. बहुत ही प्रभावशाली अभिव्यक्ति ! जब यह तूफ़ान ह्रदय में सिमट नहीं पाटा है तो कभी-कभी ज्वालामुखी की तरह फट भी पडता है और इंसान अपने ही अरमानों, ख़्वाबों और यादों के लावे के नीचे दब कर दम तोड़ देता है ! सुन्दर रचना ! आभार एवं शुभकामनाएं !

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  24. धरोहर संभाल कर रखने के लिये होता है ।

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  25. तमन्नाओं का सुनामी ....क्या जल-जला ले आएगा ....हसरतों के वृक्ष उखड जाएंगे...बहुत खूब प्रस्तुति

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  26. sach !chinhon ka yaadon ke galiyare mein stambh ban jana awashyambhavi sa hai!

    sundar abhivyakti:)
    subhkamnayen....

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  27. और ये चिन्ह मिटने भी नही चाहिएं .... भावी पीडी को इनके निशान दिखने चाहिएं ....

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अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया