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मंगलवार, 26 जनवरी 2010

मत हवा दो

भड़कती चिंगारी
धधकता ज्वालामुखी
हर सीने में है
मत हवा दो

चिंगारी गर शोला
बन जाएगी
कहर बन बरस जाएगी
ज्वालामुखी गर
जो फट जायेगा
सैलाब इक ले आएगा
मत हवा दो

हवा का रुख
ज़रा तो देखा करो
कुछ तो सोचा
समझा करो
मत आदमी के
सब्र का इम्तिहान लो
गर एक बार
आदमी , आदमी बन गया
शोलो को उठाकर
हाथ में
धधकते ज्वालामुखी
की आग में
करके भस्म
भ्रष्टाचार, हिंसा,
स्वार्थपरता,
आतंकवाद की
हर शय को
खुद को वो
साबित कर देगा
हवाओं का रुख
भी बदल देगा
अब तो संभल जाओ
मत रेत के
महल बनाओ
मत आज़ादी का
गलत फायदा उठाओ
मत हवा दो
आदमी की
उस आग को
मत हवा दो .........

16 टिप्‍पणियां:

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

गर एक बार
आदमी , आदमी बन गया
शोलो को उठाकर
हाथ में
धधकते ज्वालामुखी
की आग में
करके भस्म
भ्रष्टाचार, हिंसा,
स्वार्थपरता,
आतंकवाद की
हर शय को
खुद को वो
साबित कर देगा
हवाओं का रुख
भी बदल देगा...


बहुत सुंदर पंक्तियाँ.... शब्द... लय...व भाव आपकी कविता में हमेशा सम्पूर्ण होते हैं..... बहुत अच्छी कविता....

संजय भास्‍कर ने कहा…

गणतंत्र दिवस की शुभ कामनाए*

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

मत हवा दो

चिंगारी गर शोला
बन जाएगी
कहर बन बरस जाएगी
ज्वालामुखी गर
जो फट जायेगा
सैलाब इक ले आएगा
मत हवा दो

विचारों का सुन्दर प्रवाह!
गणतन्त्र-दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

चिंगारी गर शोला
बन जाएगी
कहर बन बरस जाएगी
ज्वालामुखी गर
जो फट जायेगा
सैलाब इक ले आएगा
मत हवा दो ...

सच कहा आपने सब्र का इंतेहाँ नही लेना चाहिए ...... अब बहुत हो गया ....जोश बढ़ाती, रक्त का संचार करती रचना में ग़ज़ब की रवानगी है ......... आपको गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाई ........

दीपक 'मशाल' ने कहा…

Nissandeh ek utprerak aur arthpoorn rachna hai Vandana ji,
Ganatantra diwas ki shubhkamnayen
Jai Hind... Jai Bundelkhand...

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

aafareen...

waakai us aag ko ab mat hawa do..

bahut achha likha hai Vandana ji!

Mithilesh dubey ने कहा…

आपको गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें ।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत खूबसूरत भाव और ओज पूर्ण रचना...

Arshad Ali ने कहा…

mai mahfuz bhai se sahmat hun.

umda kaam.

मनोज कुमार ने कहा…

सीधे सीधे जीवन से जुड़ी रस कविता में नैराश्य कहीं नहीं दीखता। एक अदम्य जिजीविषा का भाव कविता में इस भाव की अभिव्यक्ति हुई है।

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत बेहतरीन!!

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

बहुत खूब , आपको भी गणतंत्र दिवस की शुभकामनाये !

सदा ने कहा…

बहुत ही सुन्‍दर शब्‍द रचना ।

अजय कुमार ने कहा…

सही चेतावनी , शानदार रचना

kshama ने कहा…

हवा का रुख
ज़रा तो देखा करो
कुछ तो सोचा
समझा करो
मत आदमी के
सब्र का इम्तिहान लो
Is tarah imtihaan lena mano zahar ka imtihaan lene ke barabar hota hai!Kya khoob kha aapne!

B .L .S E T H I A ने कहा…

thank