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सोमवार, 21 जून 2010

दीया और लौ

दीया 
आस का 
विश्वास का
प्रेरणा का
प्रतीक बन
आशाओं का संचार करता 

मगर
टिमटिमाती लौ 
वक्त की आँधियों से थरथराती
टूटे विश्वास की
बिना किसी आस की
गहन वेदना को समेटे हुए
कंपकंपाते पलों को ओढ़कर
अपने आगोश में
सिमटने को आतुर
धूमिल होती
आशाओं का प्रतीक बन
जीवन के अंतिम कगार पर
बिना किसी विद्रोह के
समर्पण कर देती है
अपने हर 
रंग का, हर रूप का 
और बता जाती है
ज़िन्दगी का सबब

त्याग , बलिदान
आशा और उजाले
का प्रतीक बन
जीना सीखा जाती है

22 टिप्‍पणियां:

निर्मला कपिला ने कहा…

कंपकंपाते पलों को ओढ कर --- वाह बहुत ही पसंद आयी ये रचना बधाई

रश्मि प्रभा... ने कहा…

bahut kuch sikhaati rachna

मनोज कुमार ने कहा…

बहुत ही भाव प्रधान रचना जो हमें जीवन के कई रंग दिखाती है।

rashmi ravija ने कहा…

बहुत ही नए रूप में किसी दिए का बुझना परिभाषित किया है..बिलकुल नई दृष्टि.... बहुत सुन्दर...

नीरज गोस्वामी ने कहा…

शब्दों का ये खूबसूरत मंज़र और कहीं दुर्लभ है...अत्यंत भावपूर्ण रचना...वाह...
नीरज

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

अपने हर
रंग का
हर रूप का
और बता जाती है
ज़िन्दगी का सबब
त्याग , बलिदान
आशा और उजाले
का प्रतीक बन
जीना सीखा जाती है
--

बिल्कुल सही है!
आशा और विश्वास का दीपक ही
जीवन जीने की प्रेरणा देता है!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

मंगलवार 22- 06- 2010 को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है


http://charchamanch.blogspot.com/

Udan Tashtari ने कहा…

भावपूर्ण रचना!!

sanu shukla ने कहा…

bahut sundar rachna....

kunwarji's ने कहा…

वाह! क्या दृष्टिकोण है....अति सुन्दर!

कुंवर जी,

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

waakai hee jeena sikhaa diya !

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

इस सुन्दर पोस्ट की चर्चा "चर्चा मंच" पर भी है!
--
http://charchamanch.blogspot.com/2010/06/193.html

रंजना ने कहा…

दिए और लौ के माध्यम से गंभीर दर्शन प्रस्तुत किया है आपने....
मन में उतर गयी आपकी यह अद्वितीय रचना...

अजय कुमार ने कहा…

गहरे भाव लिये सुंदर रचना ।

शारदा अरोरा ने कहा…

dekhne vale ki nazar kya dekha ...man ne kya pakdaa ..sundar prastuti...blog ka naam bahut sundar hai ...jakhm jo foolon ne diye ..vaah

mridula pradhan ने कहा…

wah.

एक बेहद साधारण पाठक ने कहा…

बहुत गहरी सोच
बेहद सुन्दर भाव
दुर्लभ दृष्टिकोण

Dr. Tripat Mehta ने कहा…

wonderful

http://liberalflorence.blogspot.com/
http://sparkledaroma.blogspot.com/

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

बहुत खूब..वंदना जी बेहद भावपूर्ण सुंदर रचना...धन्यवाद

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

पसंद आयी ये रचना.......

विधुल्लता ने कहा…

सुन्दर रचना..धन्यवाद

Shayar Ashok : Assistant manager (Central Bank) ने कहा…

बहुत खुबसूरत रचना !!!