बहुत बड़ा सवाल किया है आपने. मानवीय संवेदनाओं को जो पूरी तरह से समझ ले, ऐसा मुझे कोई मिला नहीं, न मिलने की गुंजाइश नज़र आती है और यही कारण है कि ऐसे सवाल ज़हन में आते रहते हैं. खैर, जवाब देना तो बड़ा मुश्किल है पर मेरे ख्याल में अश्रुओं का चित्रण उन दुखों से हो सकता है जो उन्हें निकलने पर मजबूर कर देते हैं या फिर उन खुशियों से जिनके मिलने पर वो ऐसे ही छलकने लगते हैं!
17 टिप्पणियां:
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मगर
अश्रुओं का चित्रण
किसका दायित्व ?
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निष्ठुर समाज का ही हो सकता है यह तो!
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यह बहुत सुन्दर क्षणिका रही!
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मगर
अश्रुओं का चित्रण
किसका दायित्व ?
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निष्ठुर समाज का ही हो सकता है यह तो!
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यह बहुत सुन्दर क्षणिका रही!
संक्षिप्त किन्तु गंभीर कविता... अश्रुओं का चित्रण किसका दायित्व ? .. अच्छा प्रश्न पूछा है आपने !
बहुत बड़ा सवाल किया है आपने. मानवीय संवेदनाओं को जो पूरी तरह से समझ ले, ऐसा मुझे कोई मिला नहीं, न मिलने की गुंजाइश नज़र आती है और यही कारण है कि ऐसे सवाल ज़हन में आते रहते हैं.
खैर, जवाब देना तो बड़ा मुश्किल है पर मेरे ख्याल में अश्रुओं का चित्रण उन दुखों से हो सकता है जो उन्हें निकलने पर मजबूर कर देते हैं या फिर उन खुशियों से जिनके मिलने पर वो ऐसे ही छलकने लगते हैं!
http://draashu.blogspot.com/2010/10/blog-post_25.html
अश्रुओं के चित्रण का दायित्व कोई समझे तो शायद चित्रण करने जितने अश्रुओं को बहाना ही न पड़े .....बहुत उम्दा
चाँद पंक्तियों में बहुत बड़ी बात की है आपने.आशु जी के विचारों से सहमत.
वाह...शब्दों की जादूगरी कोई आपसे सीखे...
नीरज
उस भाव को जो अदृष्य अहसास हैं..
गहरी बात
कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया आपने.
मगर
अश्रुओं का चित्रण
किसका दायित्व ? ....
भावनाओं का . . .
एक यक्ष प्रश्न छोड़ा है आपने जिसके उतर मैं कई उतर दिए जाएंगे पर शायद उतर फ़िर भी न मिले !
bahut hi badhiyaa
वेदना देने वाले का ....?
हम सबका दायित्व, कवि रूप में।
बहुत खुब लेकिन इस प्रशन का जबाब हमारे पास भी नही हे जी, धन्यवाद
अश्रुओं का चित्रण
किसका दायित्व ?
अपनों का
यह तो आज भी एक अबूझ पहेली है वंदना जी. इसका क्या उत्तर दे?
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