समुद्र सूख रहा है 
और तलहटी में बिलबिला रही हैं 
सुनहरी , हरी , नीली मछलियाँ 
कोई उद्यम नहीं करना अब 
जिंदा रहने को जरूरी है पानी 
और पानी 
आज सूख चुका है 
हर नदी तालाब और कुओं से 
फिर क्या फर्क पड़ता है 
इन्सान और इंसानियत के पानी पर 
कोसने के लतीफे गढ़े जाएँ
फफोलों का पानी काफी है जीने के लिए
फफोलों का पानी काफी है जीने के लिए
ये चुकने का समय है
इंसान कहलाने वाले दानव का
पानी कोसों दूर, न था न है
बस शर्मसारी को थोक में बेचा गया बाज़ार में
अब खाली लोटे लुढ़क रहे हैं
टन टन की आवाज़ के साथ
और टंकारों से अब नहीं होतीं क्रांतियाँ
ये आँख का पानी मरने का समय है
ये चुल्लू भर पानी में डूबने का समय नहीं
तो क्या हुआ
जो सूख रहा है समुद्र
तुम्हारी संवेदनाओं का
आशाओं का
विश्वास का
पानी समस्या नहीं
इंसानियत जिंदा थी, है और रहेगी
बिना पानी भी
फिनिक्स सी ...
ये समय है
दरकिनार करने का
छोटी मोटी बातों को
कि
स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन का विकास संभव है
काया का निरोगी होना जरूरी है
बिना पानी भी
आओ राजपथ पर करें योगाभ्यास
 


 





