पेज

मेरी अनुमति के बिना मेरे ब्लॉग से कोई भी पोस्ट कहीं न लगाई जाये और न ही मेरे नाम और चित्र का प्रयोग किया जाये

my free copyright

MyFreeCopyright.com Registered & Protected

शुक्रवार, 23 मार्च 2018

भगत सिंह , राजगुरु और सुखदेव
हम नमन के सिवा तुम्हें कुछ नहीं दे सकते
बदल चुकी है हवा
बदल चुकी हैं प्रतिबद्धताएं

वो दौर और था
ये दौर और है
बस इतने से समझ लेना सार
आज नहीं पैदा होती वो मिटटी
जिससे पैदा होते थे तुमसे लाल

और सुनो
ये नमन भी बस कुछ सालों तक चलेगा
आने वाला दौर शायद ऐसा भी हो जाए
पूछ ले नयी पौध
कौन भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव ?
क्यों लकीर पीट रहे हो
आगे क्यों नहीं देख रहे हो

आजकल कर्ज लेने और देने की परिभाषाएं बदल चुकी हैं
फिर तुम्हारे कर्ज का क्या मोल समझेंगे
जिस दौर में कर्ज ले भाग जाने का रिवाज़ है

उम्मीद के दीये में तेल ख़त्म होने की कगार पर है
बस कर सको तो कर लेना
नमन पर ही सब्र ...
 
दर्द का चेहरा बदल चुका है !!!



कोई टिप्पणी नहीं: